RAIPUR | भूपेश बघेल और टी एस सिंहदेव की खींचतान से क्या 2023 में होगा कांग्रेस को नुकसान? चुनौतियां निश्चित रूप से बढेंगी

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजनीति में दिल्ली की दौड़ भले ही फिलहाल थम गयी हो, लेकिन ये भी सोचने की जरूरत है कि क्या छत्तीसगढ़ कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें कम हो गयी हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पिछले एक सप्ताह में छत्तीसगढ़ की राजनीति में जो भी सियासी उठापटक हुई, उसकी छत्तीसगढ़ की जनता पल-पल की गवाह रही है। भले ही कांग्रेस पार्टी ये दावा कर रही हो कि पार्टी में सब कुछ ऑल इज वेल है, लेकिन संदेश तो यही गया कि कहीं ना कहीं कुर्सी की दौड़ है. वहीं, भाजपा भी लगातार हमले कर रही है।

यही नहीं, दिल्‍ली की दौड़ का जनता में ये संदेश गया कि कांग्रेस में अब गुटबाजी भी चरम पर है और जिस पार्टी की खुलकर गुटबाजी की खबरें आती हैं, उसे नुकसान तो सहना ही पड़ता है। बता दें कि सीएम भूपेश बघेल और राज्‍य के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच कुर्सी की खींचतान चल रही है।

राजनीतिक विश्लेषक आर कृष्णा दास का कहना है कि छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहले कभी राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति पैदा नहीं हुई। इस घटनाक्रम में राजनीतिक स्थिरता की स्थिति डगमगायी है। अगर कांग्रेस में सबकुछ ठीक ठाक हो भी जाता है, तब भी दो गुटों की राजनीति जो चरम पर पहुंच गयी है, वो कांग्रेस को प्रभावित करेगी और कांग्रेस में जो भी उलथ-पुथल है उसका सीधे फायदा बीजेपी को मिलेगा, क्योंकि गुटबाजी में एक गुट दूसरे गुट को प्रभावित करेगा। यकीनन इसका फायदा विपक्ष लेना चाहेगा।

इस पूरे घटनाक्रम पर बीजेपी भले ही दर्शक की भूमिका में रहने की बात कह रही थी, लेकिन पूरी रणनीति बनाकर कांग्रेस पर हमलावर भी थी। बीजेपी प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का इस मुद्दे को लेकर कहना है कि एक ऐसी सरकार जिसे तीन चौथाई बहुमत प्राप्त है और जिस पार्टी को सत्ता में आने के लिए 15 साल लग गये, उसके बाद भी प्राथमिकता कुर्सी की है। आपसी प्रतिद्वंदिता और वर्चस्व की लड़ाई में नुकसान प्रदेश का ही है।

बहरहाल, सबने देखा कि क्या हुआ लेकिन कांग्रेस अब भी इस बात पर अड़ी हुई है कि ऐसी कोई बात नही है। ऐसी कोई बात नहीं के मायने कांग्रेस भी बखूबी समझती है। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला कहते हैं कि लोग अपनी भावनाओं को व्यक्त करने आलाकमान के पास जाते हैं और ये सामान्य प्रजातांत्रिक प्रक्रिया है। वह कहते हैं कि प्रजातांत्रिक ढंग से सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है और इससे कांग्रेस को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होगा, उल्टे इससे पार्टी और मजबूत होगी। जब पार्टी के भीतर विमर्श होता है, तो इससे पार्टी और ज्यादा मजबूत होती है।

वैसे इन दिनों छत्तीसगढ़ की सियासत में जो कुछ घट रहा है, वो किसी से छिपा नहीं है। इससे होने वाले सियासी नफा-नुकसान को कांग्रेस भी बेहतर जानती है, लेकिन इस डैमेज को जल्द ही कंट्रोल ना किया गया तो साल 2023 के लिए कांग्रेस की चुनौतियां बढ़ सकती हैं।

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