रायपुर: विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन बस्तर विश्वविद्यालय का नाम शहीद महेन्द्र कर्मा के नाम पर किए जाने की चर्चा हुई। जिसमें शहीद शब्द को लेकर विपक्ष ने सरकार को जमकर घेरा। पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा कि- पहले यह तय किया जाए कि शहीद किसे माना जाएगा। अजय चंद्राकर के बयान के बाद सदन मंे गर्मागरम बहस हुई।
अजय चंद्राकर ने कहा कि मेरे शहीद के विषय में प्रश्न पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि शहीद घोषित करने का कोई नियम नहीं है। ऐसे में विश्वविद्यालय का नाम महेन्द्र कर्मा होना चाहिए। इसका जवाब देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा- शहीद का दर्जा कभी किसी को नहीं दिया जाता। जनभावनाओं के अनुरूप शहीद माना जाता है। आतंकी हमला या नक्सली हमलों में अपनी जान गंवाने वालों के लिए यह शब्द प्रयोग किया जाता है।
मुख्यमंत्री ने महात्मा गांधी का उदाहरण दिया। सीएम ने कहा कि- उन्हें कभी वैधानिक तौर पर शहीद का दर्जा नहीं दिया गया, लेकिन शहादत दिवस के रूप में उनकी पुण्य तिथि को मनाई जाती है। राजीव गांधी और शहीद वीर नारायण सिंह स्टेडियम के नाम पर भी नामकरण हुआ है। चूंकि नक्सली हमले मंे महेन्द्र कर्मा ने अपनी जान गंवाई है इसलिए जन भावनाओं के अनुरूप उनके नाम के आगे शहीद देखते हुए नामकरण किया जा रहा है।
जनता कांग्रेस विधायक धर्मजीत सिंह ने विद्याचरण शुक्ल के नाम पर किसी प्रतिष्ठित संस्थान का नाम रखे जाने की मांग की। सत्र मंे छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2020 पारित किया गया। अब बस्तर विश्वविद्यालय शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाएगा।