BIRTHDAY SPL | तंगहाली के दिनों में गैरेज में करते थे काम, आज एक गीत लिखने के लिए लाखों की लेते हैं फीस, जानिए गुलजार की जिंदगी से जुड़े दिलचस्प किस्से

रायपुर: गुलजार को शब्दों का जादूगर कहा जाता है। आज अपना 86वां जन्मदिन मना रहे गुलजार मूलतः पंजाब के झेलम के रहने वाले थे। शुरूआती दौर मंे वह इतनी तंगहाली में जीवन-बसर कर रहे थे कि उन्होंने गैराज में बतौर मेकेनिक भी काम किया है। आइए आपको उनकी जिंदगी से रूबरू कराते हैं।

बताया जाता है कि गुलजार को बचपन से ही शेरो- शायरी और कविताओं का काफी शौक था। गैराज में काम के दौरान जब भी गुलजार को खाली समय मिलता तो वह कविताएं लिखते थे। गैरेज के पास ही एक बुकस्टोर भी था, जहां से गुलजार आठ आने में किराए पर किताबें पढ़ने को लाते थे। उनका फिल्मी कैरियर 1961 में विमल रॉय के सहायक रूप में हुआ। दरअसल विमलय राॅय की कार गुलजार के गैरेज के पास ही खराब हुई थी। उन्होंने देखा कि वहां एक किताब पड़ी हुई है। जिसके बारें में उन्होंने पूछताछ की तो पता चला कि गुलजार उन किताबांे को किराए पर लाकर पढ़ा करते थे।

विमल राॅय ने गुलजार को अपना कार्ड दिया और कहा- कल से गैरेज में काम करने मत आना। सहायक के रूप में काम करने के बाद गुलजार ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। बतौर गीतकार ही नहीं बल्कि पटकथा लेखन, निर्देशक के रूप में भी उन्होंने अपनी छाप छोड़ी। उनके गीत आज भी लोगों की जुबां पर चढ़े हुए हैं। उन्हें फिल्मी दुनिया में योगदान के लिए दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, पदम भूषण, ग्रैमी अवार्ड से नवाजा जा चुका है।

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