बस्तर: नक्सलवाद आदिवासी ग्रामीणों के लिए अभिशाप बनकर रह गया है| पुलिस और नक्सलियों के चक्रव्यूह में आदिवासी फंस कर रह गए हैं| एक तरफ पुलिस मुखबिरी के शक में हत्या और दूसरी तरफ नक्सली बताकर मौत| बस्तर के नक्सल प्रभावित जिलों में कई मामले हैं| बेकसूर ग्रामीणों को मुखबिर बताकर नक्सलियों ने मौत के घाट उतारा है| दूसरी तरफ जवानों ने नक्सली बताकर आदिवासी ग्रामीणों की जान ले ली है| लेकिन इन मामलों में एक ऐसा भी मामला है जब शव पिछले दो वर्षों से अंतिम संस्कार का इंतजार कर रहा है|
इंसाफ पाने की आस में ग्रामीणों ने शव को 6 फीट के गड्ढे में सफेद कपड़ों से लपेटकर नमक, तेल और जड़ी बूटियों का लेप लगाकर रखा है| शव को मौसम की मार से बचाने का भी इंतजाम किया गया है| लकड़ी के बत्ते, पॉलिथीन और मिट्टी की मदद से दबाकर रख दिया है| हालांकि अब ग्रामीण का शव काफी हद तक कंकाल में बदल चुका है| लेकिन गांव वालों और मृतक ग्रामीण के परिजनों का कहना है कि इंसाफ मिलने तक शव को सुरक्षित रखा जाएगा|
2 साल पहले मुठभेड़ में मारे गिराने का दावा
तारीख 19 मार्च साल 2020 समय सुबह करीब 7:30 बजे का था| गमपुर गांव के जंगलों में सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ का दावा किया| गमपुर गांव दंतेवाड़ा जिले का घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है| सुरक्षा बलों ने बताया कि गंगालूर कमेटी के मेडिकल टीम प्रभारी और IED बनाने में पारंगत नक्सली बदरू माड़वी को मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया है| सुरक्षा बलों के मुताबिक बदरू 2 लाख रुपये का इनामी नक्सली था| बदरू का छोटा भाई सन्नू घटना का चश्मदीद गवाह है| सन्नू का आरोप है कि भाई को उसके सामने जवानों ने घेर कर मार दिया| घटना के 2 साल बीतने को हैं लेकिन गांव वालों ने बदरू के शव को श्मशान किनारे पूरी तरह से सुरक्षित रखा है| इंतजार है कि मृतक के सिर से नक्सली होने का दाग हटेगा| परिजनों का कहना है कि सुरक्षा बलों ने बदरू को नक्सली बताकर मार डाला| उन्होंने बताया कि बदरू गांव के जंगलों मे वनोपज महुआ बीनने गया था|
परिजनों की मांग, घटना की हो न्यायिक जांच
मृतक बदरू की मां मारको माड़वी कहती हैं कि पिता की मौत के बाद घर का मुठभेड़ में बदरू ही सबसे बड़ा पुरूष सदस्य था| परिवार की सारी जिम्मेदारियां बदरू के कंधों पर थीं| घटना से चार साल पहले बदरू की शादी पोदी नामक युवती से हुई थी| लेकिन दोनों को कोई बच्चा नहीं है| बदरू पर दो छोटे भाई शन्नु और पंडरू की शादी की भी जिम्मेदारी थी| अभी तक शव को रखने के सवाल पर मां ने रोते हुए कहा कि जवान बेवजह ग्रामीणों की हत्या कर रहे हैं| नक्सलवाद के नाम पर जवान बेटे को मौत की नींद सुला दिया गया| इस मामले में इंसाफ मिलने तक अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा| बदरू की पत्नी पोदी आज भी उदास आंखों से न्याय की उम्मीद कर रही है| पोदी का कहना है कि जवानों ने सब कुछ बर्बाद कर दिया| आज घर की जिम्मेदारी उठाने वाला कोई भी नहीं है| घर की छोटी बड़ी जरूरतों के लिए उसे ही जद्दोजहद करनी होती है| पोदी का कहना है कि हालांकि अब सब कुछ लुट चुका है, लेकिन न्याय की उम्मीद बाकी है| पत्नी ने घटना की न्यायिक जांच और दोषी जवानों को जेल भेजने की मांग की है| उसका कहना है कि गांव में दोबारा ऐसी घटना न दोहराई जाए|
सुरक्षा बलों पर ग्रामीणों की हत्या का आरोप
ग्रामीण अर्जुन कड़ती का कहना है कि बदरू की हत्या गांव के लिए कोई पहली घटना नहीं है| अर्जुन के परिवार में भी ऐसी ही घटना घट चुकी है| 2017 में बड़े भाई भीमा कड़ती और उसकी साली बच्ची की छठी कार्यक्रम की तैयारी के लिए बाजार गए हुए थे| पुलिस ने गोली मारकर नक्सली साबित कर दिया| उससे पहले मासो नामक एक और ग्रामीण की हत्या पुलिस ने नक्सली बताकर की थी| अर्जुन का कहना है कि गांव के लोगों का जीवन अधर में अटका हुआ है| किसी के पास न तो आधार कार्ड है और न ही वोटर कार्ड| कुछ ग्रामीणों के पास पहुत पुराना राशन कार्ड है| कई बार पुलिस जंगलों में पकड़ लेती है और पहचान पूछी जाती है| उनके पास कोई सरकारी दस्तावेज नहीं होने की वजह से पहचान नहीं बता पाते और पुलिस नक्सली होने का आरोप लगाकर मारपीट करती है| ग्रामीण कमलू ने बताया कि गमपुर गांव के सभी लोगों की आमदनी का जरिया वनोपज ही है और बीनने के लिए ग्रामीणों को पूरे दिन जंगलों में ही भटकना पड़ता है| ऐसे में अगर जवान जंगलों में पकड़ लेते हैं तो बहुत ज्यादा प्रताड़ित करते हैं| इस तरह की समस्याओं को देखते हुए आज पूरा गांव एकजुट होकर बदरू के मामले की न्यायिक जांच चाहता है और चाहता है कि न्यायालय ही समस्या का कोई ठोस उपाय करे ताकि फिर कभी दुबारा गांव के किसी निर्दोष युवक की हत्या बेवजह न हो|
पुलिस अधिकारी का दावा बदरू था नक्सली
बदरू के रिश्तेदार कमलू पोड़ियाम कहते हैं कि अदालत से जांच की उम्मीद में आज भी शव को गड्ढा खोद कर और कपड़ा बांध कर रखे हैं| हालांकि इस मामले में बस्तर आईजी सुंदरराज पी का कहना है कि मुठभेड़ के बाद मृतक की शिनाख्त बतौर बदरू माड़वी हुई थी| उसके बाद विधिवत कार्रवाई पूरी की गई थी| हाल फिलहाल सूचना मिली है कि मृतक के शव को गांव वालों ने जड़ी बूटी का लेप लगाकर रखा है| मामले की पूरी जानकारी ली जा रही है| परिजनों की मांग है कि न्यायालय मामले का संज्ञान ले और शव के दोबारा पोस्टमार्टम की बात आएगी तब गड्ढे से बाहर निकाला जाएगा|