HEALTH | डायबिटीज को लेकर कई अफवाहें फैली हुई हैं, क्या आप भी इन अफवाहों को मानते हैं सच

नई दिल्ली: डायबिटीज का जोखिम पिछले एक दशक में काफी तेजी से बढ़ता हुआ देखा गया है। अब 40 से भी आयु के लोग, यहां तक कि बच्चों में भी डायबिटीज की समस्या का निदान किया जा रहा है। डॉक्टर कहते हैं, डायबिटीज की स्थिति शरीर में कई प्रकार की गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती है, इस खतरे को ध्यान में रखते हुए सभी लोगों को इससे बचाव के उपाय करते रहने चाहिए। डायबिटीज के कई जोखिम कारक हो सकते हैं, जैसे आनुवांशिकी, आहार और जीवनशैली की गड़बड़ी आदि। इन चीजों पर ध्यान देकर इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या से बचाव किया जा सकता है।

वैश्विक स्तर पर बढ़ते डायबिटीज के खतरे को लेकर लोगों को अलर्ट करने और इससे बचाव को लेकर आवश्यक सावधानियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 14 नवंबर को वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जाता है। डॉक्टर्स कहते हैं, डायबिटीज की समस्या काफी तेजी से बढ़ती हुई रिपोर्ट की गई है, लगभग हर दूसरे घर में एक व्यक्ति डायबिटीज का शिकार मिल जाएगा, हालांकि दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि अब भी लोगों में इसको लेकर सही जानकारियों की कमी देखी जा रही है।

कई ऐसे मिथ्स हैं जिन्हें हम वर्षों से सही मानते आ रहे हैं, ये डायबिटीज के प्रबंधन और बचाव में दिक्कतें पैदा कर सकते हैं। इस गंभीर रोग से सुरक्षित रहने के लिए लोगों को सही जानकारी होना आवश्यक है। आइए ऐसे ही कुछ मिथ्स के बारे में जानते हैं जिन्हें ज्यादातर लोग सही मानते आ रहे हैं।

डॉक्टर कहते हैं, यह सच है कि डायबिटीज का आनुवांशिक जोखिम अधिक होता है यानी कि यदि आपके माता-पिता या भाई-बहन में किसी को डायबिटीज है तो आपमें भी इसके विकसित होने का खतरा अधिक हो जाता है। हालांकि यदि परिवार में किसी को डायबिटीज नहीं भी है तो भी आपमें कुछ कारकों के चलते डायबिटीज हो सकती है। जीवनशैली और आहार संबंधी गड़बड़ी, शारीरिक निष्क्रियता और मोटापा जैसी स्थितियां आपको डायबिटीज का शिकार बना सकती हैं, भले ही आपमें आनुवांशिक जोखिम न हों।

मधुमेह को लेकर खान-पान से संबंधित कई प्रकार के मिथ्स हैं, उनमें से एक है कि डायबिटिक लोगों को चावल-आलू जैसी चीजों से परहेज करना चाहिए। असल में इनमें कार्बोहाइड्रेट की अधिकता होती है, कार्बोहाइड्रेट रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा देती है।

हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि डायबिटीज में भी कार्बोहाइड्रेट से पूरी तरह परहेज करना ठीक नहीं है। कार्बोहाइड्रेट, शरीर को ऊर्जा देने के लिए आवश्यक होते हैं, ऐसे में इससे परहेज के कारण आपमें थकान और कमजोरी हो सकती है। बस इन चीजों के संयमित सेवन का ध्यान रखें। लो-कार्ब डाइट डायबिटीज में फायदेमंद हो सकती है।

डायबिटीज के ज्यादातर रोगी अक्सर यह गलती करते हैं, ब्लड शुगर का स्तर कंट्रोल में आते ही डायबिटीज की गोलियां और इंसुलिन लेना खुद से बंद कर देते हैं। डॉक्टर इस आदत को काफी गंभीर और नुकसानदायक मानते हैं। डॉक्टर्स कहते हैं, मधुमेह को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है, इसे बस दवाइयों और अन्य माध्यमों से नियंत्रित करने का प्रयास किया जाता है। खुद से ही दवाइयां बंद कर देने से अचानक शुगर लेवल के बहुत बढ़ जाने का खतरा रहता है जिसके कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं, यहां तक कि यह कई अंगों के फेलियर का भी कारण बन सकती है।

निश्चित तौर पर डायबिटीज मेटाबॉलिज्म में होने वाली गड़बड़ी के कारण होने वाली समस्या है जिसमें रक्त में शुगर की मात्रा काफी बढ़ जाती है, पर यह शरीर के कई अन्य अंगों की दिक्कतें भी बढ़ा देती है। डायबिटीज के शिकार लोगों में आंखों, किडनी, लिवर, तंत्रिका जैसी बीमारियों का खतरा काफी अधिक होता है। ब्लड शुगर का स्तर लगातर अनियंत्रित बना रहना गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं जैसे डायबिटिक कीटोएसिडोसिस और डायबिटिक फुट का भी कारण बन सकती है, जिससे बचाव करते रहना बहुत आवश्यक है।

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