प्रयागराज: हर साल माघ मेला का आयोजन होता है। माघ पूर्णिमा के स्नान के साथ माघ मेले की शुरुआत हो चुकी है जिसका समापन महाशिवरात्रि के दिन होगा। डेढ़ माह तक चलने वाले माघ मेले में गंगा-यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए लोगों की भीड़ जुटती है। माघ मेले के दौरान न सिर्फ श्रद्धालु बल्कि बड़ी संख्या में साधु-महात्मा संगम में स्नान करने के लिए मीलों दूर से आते हैं।
संगम में स्नान करने के लिए आने वाले नागा साधु सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र होते हैं। नागा साधुओं के बारे में कम जानकारी होने की वजह से इनके विषय में जानने की लोगों में अधिक उत्सुकता होती है। पुरुषों की तरह ही महिला नागा साधु भी होती हैं। महिला नागा साधु भी अपने जीवन को पूरी तरह से ईश्वर को समर्पित कर देती हैं। हम आपको अपनी इस खबर में महिला नागा साधुओं से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं…
नागा साधुओं की रहस्यमयी दुनिया के बारे में सभी लोगों ने जरूर सुना होगा। लेकिन महिला नागा साधु का जीवन सबसे निराला और अलग होता है। गृहस्थ जीवन से दूर हो चुकीं महिला नाग साधु की दिन की शुरुआत और अंत दोनों पूजा-पाठ के साथ ही होती है। इनका जीवन कई तरह की कठिनाइयों से भरा होता है। नाग साधु को दुनिया से कोई मतलब नहीं होता है और इनकी हर बात निराली होती है।
महिला नागा साधु बनने के बाद सभी साधु और साध्वियां उन्हें माता कहकर पुकारती हैं। माई बाड़ा में महिला नागा साधु होती हैं जिसे अब विस्तृत रूप देने के बाद दशनाम संन्यासिनी अखाड़ा का नाम दिया गया है। साधु संतों में नागा एक पदवी होती है। साधुओं में वैष्णव, शैव और उदासीन सम्प्रदाय हैं। इन तीनों सम्प्रदायों के अखाड़े नागा साधु बनाते हैं।
जानिए कैसे बनती हैं महिला नागा
पुरुष नागा साधु नग्न रह सकते हैं, लेकिन महिला नागा साधु को इसकी इजाजत नहीं होती है। पुरुष नागा साधुओं में वस्त्रधारी और दिगंबर (निर्वस्त्र) होते हैं। महिलाओं को भी दीक्षा दी जाती है और नागा बनाया जाता है, लेकिन वह सभी वस्त्रधारी होती हैं। महिला नागा साधु को अपने मस्तक पर तिलक लगाना जरूरी होता है। लेकिन वह गुरुए रंग का सिर्फ एक कपड़ा पहन सकती हैं जो सिला हुआ नहीं होता है। इस वस्त्र को गंती कहा जाता है।
नागा बनने की प्रकिया है बेहद कठिन
महिला नागा साधुओं के बनने की प्रक्रिया के बारे में जानने के बाद आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे। महिला नागा साधुओं की जिंदगी बेहद कठिन होती है। नागा साधु बनने कि लिए इनको कड़ी परीक्षा से गुजरना होता है। नागा साधु या संन्यासनी बनने के लिए 10 से 15 साल तक कठिन ब्रम्हचर्य का पालन करना जरूरी होता है। नागा साधु बनने लिए अपने गुरु को यकीन दिलाना होता है कि वह इसके लायक हैं और अब ईश्वर के प्रति समर्पित हो चुकी हैं। इसके बाद गुरु नागा साधु बनने की इजाजत देते हैं।