बीजापुर: एक कुएं ने छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के धनोरा गांव की महिमा कुड़ियम और उनके परिवार की जिंदगी बदल दी है। इस कुएं की बदौलत अब उसका परिवार तेजी से कर्जमुक्त होने की राह पर हैं। पहले महिमा कुड़ियम और उसके पति जेम्स कुड़ियम खरीफ मौसम में अपने चार एकड़ खेत में धान उगाकर बमुश्किल गुजर-बसर कर पाते थे। जेम्स कुड़ियम बताते है कि सिंचाई का साधन नहीं होने से केवल बारिश के भरोसे सालाना 15-20 क्विंटल धान की पैदावार होती थी।
राज्य सरकार के जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक कुरियम के मुताबिक वर्ष 2017 में उन्होंने बैंक से कर्ज लेकर ट्रैक्टर खरीदा था, जिसका हर छह महीने में 73 हजार रूपए का किस्त अदा करना पड़ता था। आय के सीमित साधनों और ट्रैक्टर से भी आसपास लगातार काम नहीं मिलने से वे इसका किस्त समय पर भर नहीं पा रहे थे, जिससे ब्याज बढ़ता जा रहा था। इसने पूरे परिवार को मुश्किल में डाल दिया था।
कुआं निर्माण का सुझाव
इन्ही परेशानियों के बीच एक दिन महिमा कुड़ियम को धान की सूखती फसल को देखकर ग्राम रोजगार सहायक ने मनरेगा से खेत में कुआं निर्माण का सुझाव दिया। ग्राम रोजगार सहायक की सलाह पर उसने अपनी निजी भूमि में कुआं खुदाई के लिए ग्राम पंचायत को आवेदन दिया। पंचायत की पहल पर मनरेगा के अंतर्गत उसके खेत में कुआं निर्माण का काम स्वीकृत हो गया और 11 फरवरी 2019 को इसकी खुदाई भी शुरू हो गई। सात फीट की गहराई में ही गीली मिट्टी में पानी नजर आने लगा। चार महीनों के काम के बाद 11 जून 2019 को कुआं बनकर तैयार हो गया। कुएं में लबालब पानी आ गया।
महिमा कुड़ियम बताती है कि उसके कुएं में पर्याप्त पानी है कुएं के पानी का उपयोग वे अपने चार एकड़ खेत में लगे धान की सिंचाई के लिए करते है। इससे धान की पैदावार अब बढ़कर लगभग 50 क्विंटल हो गई है। इसमें से वे कुछ को स्वयं के उपभोग के लिए रखकर शेष पैदावार को बेच देते हैं। धान की उपज बढ़ने के बाद भी ट्रैक्टर का किस्त पटाने की समस्या बरकरार थी। ऐसे में उन्होंने कुएं से लगी अपनी एक एकड़ खाली जमीन पर ईट बनाने का काम शुरू किया। पिछले तीन सालों से वे लाल ईंट का कारोबार कर रहे हैं। स्थानीय स्तर पर उसके परिवार के द्वारा बनाए गए ईटों की काफी मांग है। ईट की बिक्री से उन्हें वर्ष 2019 में 50 हजार रुपए, 2020 में एक लाख रुपए और 2021 में डेढ़ लाख रुपए की कमाई हुई है।