पटना: बिहार में नई सरकार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी है, लेकिन विवादों से दामन अब भी नहीं छूट रहा है। नई सरकार में शिक्षा मंत्री बने डॉ मेवालाल चैधरी ने भ्रष्टाचार के लगे आरोपों के कारण गुरुवार को पद से इस्तीफा दे दिया है। मेवालाल 72 घंटे भी मंत्री नहीं रह पाए। मेवालाल चैधरी ने गुरुवार को ही अपना पदभार ग्रहण किया था। जबकि उन्हें मंगलवार को विभाग मिला था।
बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई में बनी एनडीए की सरकार में भर्ती घोटाले के आरोपी मेवालाल चैधरी को शिक्षामंत्री बनाए जाने पर आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने हमला बोला था। लालू प्रसाद यादव के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट में कहा गया था, तेजस्वी जहां पहली कैबिनेट में पहली कलम से 10 लाख नौकरियां देने को प्रतिबद्ध था वहीं नीतीश ने पहली कैबिनेट में नियुक्ति घोटाला करने वाले मेवालाल को मंत्री बना अपनी प्राथमिकता बता दिया। विडंबना देखिए जो भाजपाई कल तक मेवालाल को खोज रहे थे आज मेवा मिलने पर मौन धारण किए हैं। इसके बाद तेजस्वी यादव सहित आरजेडी के अन्य नेताओं ने मेवालाल को लेकर नीतीश सरकार पर हमला करना शुरू कर दिया था।
भ्रष्टाचार के लग रहे आरोपों के बीच बिहार के नवनियुक्त शिक्षा मंत्री मेवालाल चैधरी बुधवार शाम मुख्यमंत्री आवास यानि एक अणे मार्ग पहुंचे थे। इस दौरान उनकी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ करीब आधे घंटे की मुलाकात हुई। इस मुलाकात के बाद से ही ये कयास लग रहे थे आखिर उनके बीच क्या बात हुई। इसी बीच गुरुवार को मेवालाल चैधरी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। मेवालाल चैधरी पर सबौर विश्वविद्यालय का कुलपति रहते हुए नियुक्ति घोटाले में मामला दर्ज हुआ था। ये केस भागलपुर पास विचाराधीन है और फिलहाल चार्जशीट का इंतजार किया जा रहा है।
मेवालाल चैधरी 2015 में पहली बार जेडीयू विधायक बने थे जबकि, इससे पहले तक वो शिक्षक के तौर पर सेवा दे रहे थे। उनके कुलपति रहते कृषि विश्वविद्यालय में साल 2012 में सहायक प्राध्यापक और जूनियर वैज्ञानिकों की बहाली हुई थी। बताया जाता है कि उस नियुक्ति में धांधली की गई थी। कृषि विश्वविद्यालय में नियुक्ति घोटाले का मामला सबौर थाने में 2017 में दर्ज किया गया था। हालांकि इस मामले में उन्होंने कोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई थी और अभी तक कोर्ट में उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है।