जांजगीर: गांव में रहने वाले एक बुजुर्ग दम्पत्ति ने ग्रामीणों को बताया कि उनका अब परलोक सिधारने का समय हो गया है। दोनों ने पहले पंडित को बुलाकर गीता का पाठ सुनाए दान किया और उसके बाद सोने चले गए। रात में उन्होंने अपने परिजनों को बताया कि ये उनकी आखिरी नींद है और सच में सुबह वह चल बसे। 24 घंटे बाद बुजुर्ग की पत्नी ने घरवालों को बुलाया और बताया कि वह चंद घंटों की मेहमान है और उनका भी निधन हो गया।
यह अजीबो.गरीब मामला जांजगीर.चांपा जिले के बनारी गांव का है। शीतला प्रसाद पांडेय ;80 वर्षद्ध और उनकी पत्नी द्रौपदी बाई यहा रहते हैं। शीतला पांडेय पहले शिक्षक थे। उनकी कोई संतान नहीं है और रिटायर्ड होने के बाद से ही वह अपने गांव में रहते थे। गुरूवार को उन्हें अपनी मौत का आभास हुआ और फोन पर उन्होंने अपने भतीजे को बोलकर पंडित राकेश तिवारी को बुलाया। उन्होंने पंडित को कहा कि वे उन्हें गीता सुना दें।
गंगाजलए अक्षत लेकर उन्होंने संकल्प किया और गीता का पाठ सुना। उनके आग्रह करने पर घर के सभी लोगों ने उन्हें तुलसी भी खिलाई। दान देने के बाद वह पलंग पर बैठ गए और परिवार के सभी सदस्यों को बुलाकर बताया कि उनके परलोक सिधारने का समय आ गया है। वे आज आखिरी नींद लेने जा रहे हैं और इतना कहकर वो सोने चले गए। जिसके बाद वह नहीं उठे।
पति की मौत के महज 24 घंटे बाद उनकी पत्नी को भी अपनी मौत का अहसास हो गया और उन्होंने अपनी घर की सभी महिलाओं को बुलाकर काम.काज की जानकारी दी और घर के हर सामान से अवगत कराया। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे क्रिया कर्म में किसी प्रकार की कमी नहीं होनी चाहिए। सुबह घर वाले उन्हें उठाने कमरे में गए लेकिन उनकी भी भी सांसें थम चुकी थीं।