जगदलपुर: एक समय ऐसा था जब बस्तर का नाम आते ही नकारात्मकता, लाल आतंक और बारूद की गंध का स्मरण होने लगता था, पर अब यह स्थिति बदलने लगी है। बस्तर की सर्वांगीण विकास की प्रतिबद्धता ने इसकी नकारात्मक छवि को धुँधला कर दिया है और अब बस्तर की पहचान यहाँ की नैसर्गिक सुंदरता, अविरल बहते झरने, घनें जंगल, विराट पहाड़, रहस्यमयी गुफाएं, कला-संस्कृति, अद्भुत परम्पराएं, पर्यटन, जैवविविधता और स्थानीय प्रतिभाओं के नाम से बना चुका है।
बस्तर के लिये यह बहुत ही गौरव का विषय है कि यहाँ के युवा लगातार राष्ट्रीय स्तर पर बस्तर की सकारात्मक पहचान बनाने में विशेष भूमिका निभा रहे हैं।
केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने जगदलपुर में रहने वाले जीत सिंह आर्य जोकि अनएक्सप्लोर्ड बस्तर स्टार्टअप संस्था के संस्थापक है को सस्टेनेबल एवं इको टूरिज्म की राष्ट्रीय नीति निर्माण व कार्यसंरचना हेतु सुझाव देने आमंत्रित किया है। उल्लेखनीय है कि पर्यटन मंत्रालय का उपक्रम एवं देश की जानीमानी शैक्षिणिक संस्था इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म एंड ट्रेवल मैनेजमेंट ने देश के चुनिंदा विषय विशेषज्ञों को पर्यटन की नीति निर्माण व रोडमैप बनाने के लिये सुझाव हेतु आमंत्रित किया है। यह बहुत ही गौरव का विषय है कि पूरे छत्तीसगढ़ से अनएक्सप्लोर्ड बस्तर के श्री जीत सिंह आर्य अपने विचार व सुझाव साझा करेंगे।
अनएक्सप्लोर्ड बस्तर संस्था राज्य में सामुदायिक पर्यटन को बढ़ावा देने विगत छः वर्षों से सतत कार्य कर रही है। उनके उत्कृष्ट एवं उल्लेखनीय कार्यों के लिये गत वर्ष संस्थापक श्री जीत सिंह आर्य को राष्ट्रीय उद्धमिता अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था। अबतक संस्था को उनके विशिष्ट कार्यों के लिये अनेकों सम्मान प्राप्त हुये हैं। समय समय पर संस्था के विशेषज्ञों को देश की प्रख्यात संस्थाएं अपने विचार-सुझाव साझा करने आमंत्रित करते रहती हैं।
संस्था के संस्थापक जीत सिंह आर्य ने बताया कि प्रकृति एवं पर्यावरण का संरक्षण और स्थानीय लोगों की सहभागिता व स्वरोजगार सुनिश्चित करते हुए पर्यटन स्थलों को देश-दुनिया में पहचान दिलाना ही हमारी संस्था का प्रमुख लक्ष्य है। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के द्वारा राष्ट्रीय पर्यटन के नीति निर्माण एवं रोडमैप बनाने सुझाव हेतु आमंत्रण मिला है, बहुत ही अच्छा लग रहा है। बस्तर को लोग अब सकारात्मकता और प्रेम की नजर से देखने लगे हैं, निश्चित ही बस्तर बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है।