जशपुर: छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले का एक आरक्षक पिछले सात सालों से गायब है। आरक्षक को विभाग की तरफ से ट्रेनिंग के लिए चेन्नई भेजा गया था, लेकिन ना तो वो आरक्षक ट्रेनिंग पर पहुंचा और ना ही घर वापिस लौटा। आरक्षक के परिजन 7 सालों से उनकी खोजबीन कर रहे हैं, लेकिन अब तक आरक्षक का कोई पता नहीं चला है। आरक्षक को 3 साल पहले विभाग की तरफ से रिटायर कर दिया गया है। अब परिजनों ने परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति देने की मांग की है।
जशपुर के खरसोता निवासी बालेश्वर राम 2014 में जशपुर जिले के दुलदुला थाने में पदस्थ था। आरक्षक को सीआरपीएफ ट्रेनिंग कोर्स के लिए चेन्नई रवाना किया गया था, लेकिन आरक्षक ना तो ट्रेनिंग सेंटर पहुंचा और ना ही घर वापिस लौटा। एक महीने तक आरक्षक से परिजनों का सम्पर्क नहीं हुआ तो परिजनों ने आरक्षक के बारे में पता तलाश की। तब उनको पता चला की आरक्षक ट्रेनिंग सेंटर नहीं पहुंचा है। मामले की जानकारी जशपुर पुलिस को मिलने के बाद पुलिस और परिजनों ने मिलकर आरक्षक बालेश्वर राम की तलाश शुरू की।
परिवार ने की अनुकंपना नियुक्ति की मांग
काफी खोजबीन के बाद भी आरक्षक का कोई पता नहीं चल पाया। इसी बीच महाराष्ट्र के रत्नागिरी में एक डेड बॉडी मिलने की जानकारी परिजनों को लगी। पुलिस के साथ परिजन भी डेड बॉडी की शिनाख्ती के लिए रत्नागिरी पहुंचे पर वो डेड बॉडी किसी और की थी। आरक्षक जब यहां से रवाना हुआ था तो उनकी उम्र 58 साल थी। नियमानुसार कुछ सालों बाद विभाग की तरफ से आरक्षक को रिटायरमेंट दे दिया गया लेकिन अब तक उनका कोई पता नहीं चल पाया है। परिजनों को रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन दी जा रही है। वहीं परिवार के लोगो का कहना है कि परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।
जशपुर एसपी विजय अग्रवाल का कहना है कि आरक्षक की खोजबीन लगातार जारी है और आरक्षक के परिजनों को पेंशन दी जा रही है। बहरहाल, आरक्षक 7 सालों से गायब है और पुलिस के कई प्रयासों के बावजूद उसका सुराग नहीं लग पाया है। अब परिजन आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं और उन्होंने परिवार के एक सदस्य को अनुकम्पा नियुक्ति देने की मांग की है।