रायपुर: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से सालभर पहले कांग्रेस आलाकमान ने प्रभारी महासचिव पीएल पुनिया को हटा दिया। पुनिया जुलाई, 2017 से छत्तीसगढ़ प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। बीके हरिप्रसाद के बाद उन्हें छत्तीसगढ़ प्रभारी बनाया गया। 2018 में कांग्रेस की जीत के शिल्पकार थे। इससे पहले खंड-खंड में बंटी कांग्रेस को एक करने की जिम्मेदारी निभाई थी।
एक नजरिए से देखा जाए तो यह संगठन का एक रूटीन फैसला है। यह भी जोड़ सकते हैं कि उदयपुर अधिवेशन में कांग्रेस ने यह तय किया था कि कोई भी व्यक्ति 5 साल के बाद एक ही पद में नहीं रह सकता। कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में मल्लिकार्जुन खड़गे की नियुक्ति के बाद वैसे भी नए सिरे से नियुक्तियां होनी हैं। इस लिहाज से भी यह एक रूटीन एक्सरसाइज की तरह है।
हालांकि छत्तीसगढ़ जैसे कांग्रेस के लिए सूखे राज्य में इतने बड़े पैमाने पर जीत की फसल लहलहाने वाले पुनिया को हटाने को कांग्रेस सामान्य प्रक्रिया नहीं मानते। कांग्रेस के एक गुट का कहना है कि विधानसभा चुनाव से पहले पुनिया ने अच्छे संगठक की भूमिका में मजबूती दी, लेकिन सरकार बनने के बाद उनकी भूमिका निष्पक्ष नहीं रही। वे पक्ष लेने लगे थे। उनका अपना गुट बन गया था।
कुछ खास लोगों को आगे बढ़ाने के भी आरोप पुनिया पर हैं। प्रभारी महामंत्री (संगठन) के साथ बदसलूकी करने वाले सन्नी अग्रवाल के माफीनामे के आधार पर कार्रवाई पर रोक लगाने के पीछे पुनिया का ही हाथ बताया गया था। ऐसे कई और मामले सामने आए थे, जिनमें पुनिया ने वीटो का इस्तेमाल किया। ये शिकायतें कांग्रेस आलाकमान तक पहुंची थी। कहा जा रहा है कि इन शिकायतों पर संज्ञान लेकर पुनिया को हटाया गया है।