दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ में बस्तर के जंगलों में गश्त करने वाले जवानों पर कई बार आरोप लगते रहते हैं कि उनके द्वारा जंगलों में घूमने वाले आदिवासियों को बेवजह प्रताड़ित किया जाता है, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं हैं। जवान हमेशा मदद को आतुर रहते हैं। शनिवार को सोशल मीडिया में एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है, जिसकी सभी जमकर तारीफ भी कर रहे हैं। जवान जंगल में एक महिला के लिए महुआ फूल एकत्रित करते नजर आए।
दरअसल यह वीडियो दंतेवाड़ा जिले के डीआरजी के जवानों का है। इसमें वे घने जंगलों में महुआ का फल इकट्ठा करते नजर आ रहे हैं। जवानों के साथ एक ग्रामीण महिला और बच्ची भी है, जो महुआ एकत्रित कर रही है। इस वीडियो के संबंध में बस्तर आईजी सुंदरराज पी से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि दंतेवाड़ा जिले में जवान जब गश्त से वापस लौट रहे थे, तब उन्हें घने जंगलों में एक महिला अपनी बच्ची के साथ महुआ बिनती नजर आई।
छत्तीसगढ़ के बस्तर के जंगलों में गश्त करने वाले जवानों पर कई बार आदिवासियों को प्रताड़ित करने का आरोप लगता है। लेकिन शनिवार को सोशल मीडिया में एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है, जिसकी खूब तारीफ हो रही है। इसमें जवान महुआ बीनती आदिवासी महिलाओं की मदद कर रहे हैं।
महिला के घर तक महुआ को पहुंचाया
जवानों ने महिला की मदद करने के उद्देश्य से उसके साथ न केवल महुआ के फूल उठाने में मदद की गई बल्कि एकत्रित किए गए सारे महुआ को कांवड़ में लादकर महिला के घर तक भी पहुंचाया। बस्तर आईजी ने बताया कि जवान जब महिला की मदद कर रहे थे तब महिला भी जवानों से बिना डरे उनके साथ महुआ बिन रही थी। यही जवानों का उद्देश्य भी था, जिसमें वे सफल हुए हैं।ग्रामीणों के बीच सुरक्षा और भरोसा उद्देश्य
आईजी ने कहा कि बस्तर में माओवादियों से लोहा लेते सुरक्षाबलों की प्राथमिकता ग्रामीणों में सुरक्षा और भरोसा जगाना होता है। यही वजह है कि जवान जब भी जंगलों में गश्त करने निकलते हैं तो उनके द्वारा अंदरूनी इलाकों में ग्रामीणों को सभी प्रकार से मदद करने की कोशिश की जाती है। पहले भी काफी अंदरूनी इलाकों से बीमार ग्रामीणों को मिलों कंधे पर लादकर जवानों द्वारा अस्पताल पहुंचाया गया है।
नक्सलियों की मानसिकता समझ गए नक्सली
पुलिस का मानना है कि अंदरूनी क्षेत्रों के ग्रामीण और पुलिस के बीच संबंध जितना व्यवहारिक होगा, माओवादियों की जड़ उतनी ही कमजोर होगी। गस्त के दौरान जवानों पर लगने वाले आरोपों पर आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि इसके पीछे भी माओवादियों का ही प्रोपोगेंडा होता है, जिससे जवानों को बदनाम किया जाए। अब बस्तर के आदिवासी उनकी मानसिकता को समझ गए हैं और मुख्यधारा से जुड़ने का प्रयास कर रहे हैं।