रायगढ़: छत्तीसगढ़ का रायगढ़ जिला औद्योगिक नगरी के नाम से जाना जाता है. लेकिन जिला मुख्यालय से सिर्फ 50 किलोमीटर दूर बसे एक गांव के लोग भयंकर बीमारी से त्रस्त हैं. इस गांव के लोगों से पड़ोसी गांव के लोगों ने दूरियां बना ली हैं. आलम ये है कि यहां कोई रिश्तेदारी भी नहीं रखना चाहता. गांव की समस्या से अधिकारी और नेता वाकिफ हैं, लेकिन कोई इस पर ध्यान नहीं दे रहा है.
रायगढ़ जिले के तमनार ब्लाक के मुड़ागांव, सराई टोला और गारेगांव ऐसे हैं. जहां का पानी पीने के कारण बच्चों के दांत काले-पीले होकर टूट रहे हैं. बूढ़े लोगों की हड्डियों में लचीलापन खत्म होता जा रहा है. इसके चलते कुछ लोग कुबड़ेपन शिकार हो रहे हैं. गांव के ज्यादातर लोग जिनकी उम्र 40 साल से अधिक है उनके शरीर में कूबड़ दिखाई दे रही है और शरीर झुकने लगा है.
इस कारण लोग हो रहे हैं कुबड़ेपन के शिकार
दरअसल इस भयंकर बीमारी का मुख्य कारण यहां के पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होना है. फ्लोराइड की वजह से है बीमारी लोगों को जकड़ रही है. गांव के चेतराम नाम के व्यक्ति बताते हैं कि पहले गांव की सामान्य स्थिति थी. उनके पूर्वजों को ऐसी कोई बीमारी नहीं थी. बीते 20-25 साल में ही समस्या आई है. जिसकी वजह से लोग कुबड़े हो रहे हैं और बच्चों के दांत काले-पीले पड़ रहे हैं.
स्कूल आने वाले बच्चों को भी दिक्कत
शासकीय प्राथमिक शाला सराईटोला के प्रधान पाठक अमर राठिया ने बताया कि स्कूल में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चों के दांत काले और पीले हो गए हैं.. साफ करवाने से भी दांत साफ नहीं हो रहा है.. इस गांव के ज्यादातर व्यस्क व्यक्ति कुबड़पन के शिकार हैं गांव के कोटवार धर्म चौहान ने बताया कि फ्लोराइड हटाने के लिए प्लांट लगा था, लेकिन वह भी कई साल से बंद है. लोगों को पता है कि पानी खराब है, लेकिन बिना पानी के रह नहीं सकते हैं, इसीलिए मजबूरन पी रहे हैं और बीमार हो रहे हैं.
जानकारी है, लेकिन मदद को कोई तैयार नहीं
ऐसा नहीं है कि राजनीतिक दल इससे बेखबर हैं, जब नेता सत्ता में होते हैं तब इस ओर कोई ध्यान नहीं देता. जब नेता विपक्ष में हो गए तो आज उनकी याद आने लगी. क्षेत्र के पूर्व भाजपा विधायक सत्यानंद राठिया अब इनके दुखों पर अपना दर्द व्यक्त कर रहे हैं औऱ विपक्ष में आते ही उन्हें ग्रामीणों की चिंता सताने लगी है. ऐसा नहीं है कि अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं है. जिले के अधिकारी भी ग्रामीणों के इस समस्या से रूबरू है, लेकिन अधिकारी आज भी कागजी दावे ही कर रहे हैं. कागजों में फ्लोराइड निपटारे के लिए फिल्टर प्लांट लगा दिया गया था, लेकिन प्लांट की सुध लेने के लिए कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं गया. नतीजा यह निकला कि प्लांट बरसों पहले खराब हो चुका है. अधिकारी अब स्टीमेट बनाकर वर्क आर्डर जारी कर मशीन ठीक कराने की बात कह रहे हैं.
इस बीमारी का इलाज नहीं हैःडॉक्टर
लोगों की समस्या को लेकर अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ प्रशांत अग्रवाल कहते हैं कि सराई टोलाऔर मुडागांव से इलाज कराने कई लोग आ चुके हैं, तब से वो क्षेत्र की इस समस्या को जानते हैं. फ्लोराइड की समस्या से लोगो की दांत और हड्डियां सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं. शुरुआती लक्षण दांत का पीलापन दांत के काले हो जाना और बुरादे की तरह टूटना होता है.. लगातार फ्लोराइड युक्त पानी पीने से यह समस्या और गंभीर हो जाती है और धीरे-धीरे शरीर का लचीलापन खत्म हो जाता है. इस वजह से शरीर में गठान होने लगती है और कमर झुक कर कुबड़ा हो जाता है.. दुर्भाग्य की बात यह है कि इसका कोई इलाज नहीं है. शुरुआती लक्षण के बाद कुछ परहेज करके इससे निजात पाया जा सकता है, लेकिन जिस तरह से ग्रामीणों के अंदर फ्लोराइड घुल चुका है, उनका इलाज संभव नहीं है.