रायपुर: छत्तीसगढ़ का आज स्थापना दिवस है। आज छत्तीसगढ़ को अलग हुए पूरे 21 बरस हो गए। यानी प्रदेश अब अपने युवावस्था में है। अबतक के सफर में छत्तीसगढ़ ने नित नई ऊंचाईयों को हासिल किया है। शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई पहचान बनाने में सफल रहा है। आज से राज्योत्सव की शुरुआत भी हो रही है। जहां छत्तीसगढ़ी कला और संस्कृति की छटा बिखरेगी।
1 नवंबर 2000.. यही वो एतिहासिक तारीख है। जब छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आया.. 1 नवंबर हर छत्तीसगढ़ वासी के लिए उत्सव का दिन होता है। यही वो दिन है जब छत्तीसगढ़ के लोगों को उनकी पहचान, मान और स्वाभिमान की जमीन मिली। आज छत्तीसगढ़ को अलग हुए पूरे 21 बरस हो गए। यानी प्रदेश अब अपने युवावस्था में है। अबतक के सफर में छत्तीसगढ़ ने नित नई ऊंचाईयों को हासिल किया है। शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई पहचान बनाने में सफल रहा है। वैसे तो छत्तीसगढ़ का नामकरण 36 गढ़ों के आधार पर हुआ। लेकिन गढ़ों के अलावा और भी कई पहचान हैं।
कहते हैं जब जंगलों में धूप खिले.. जब नदियां बहती जाएं…जब बैलों की पूजा हो…परंपराएं निभाई जाएं…तो समझ जाइएगा छत्तीसगढ़ है। जब धान की खुशबू की महक उठे…बिटिया तीज में मेंहदी लगाकर चहक उठे…सुआ नृत्य में झूमते-झूमते जब महानदी की लहर उठे….तो समझ जाइएगा छत्तीसगढ़ है।
छत्तीसगढ़ बनने के बाद यहां के लोगों की आय में 10 गुना की वृद्धि हुई है। प्रति व्यक्ति आय 10,125 रुपये से बढ़कर 98,281 रुपये हो गई है। राज्य निर्माण के वक्त यहां महज एक मेडिकल कॉलेज था, लेकिन आज आधे दर्जन से भी अधिक कॉलेज में डॉक्टर तैयार हो रहे हैं। प्रदेश में आईआईएम, आईआईटी, ट्रिपल आईटी एनआईटी , एम्स, लॉ यूनिवर्सिटी जैसी कई बड़ी संस्थाएं खुल गई हैं। इसके अलावा स्कूली शिक्षा में भी काफी विकास हुआ है।
पोला-हरेली, चीला और फरा…बस्तर स्वर्ग सा सुंदर हरा-भरा…दंतेश्वरी के आशीष से जब दुख हरते जाएं…तो समझ जाइएगा छत्तीसगढ़ है। आदिवासियों की झोली में रीति और रिवाज हैं। खेतों से आती खुशहाली की आवाज है। तीजन बाई की पंडवानी में जब चारों दिशाएं बंधती जाएं। समझ जाइएगा छत्तीसगढ़ है।