मेरठ: एक किसान ने ऐसा काम किया है, जिसकी चर्चा इन दिनों काफी जोरों पर है। किसान के काम का एक वीडियो भी वायरल होने के बाद तो मामला काफी प्रचलित होता जा रहा है।
देश तथा प्रदेश में कई जगह ऐसे भी मामले सामने आते है कि जब लोग स्वजन का मरणोपरांत भी सम्मान से अंतिम संस्कार तक नहीं करते, लेकिन मेरठ के एक किसान ने भैंस की मृत्यु के बाद विधि-विधान से अंतिम क्रिया की। बहसूमा के गांव मोहम्मदपुर शकिस्त में किसान सुभाष ने अपनी भैंस की मौत पर विधि-विधान से अंतिम क्रिया करने के साथ तेहरवीं का भी आयोजन किया।
इसमें गांव व आसपास के गांव के लोगों को बकायदा भोज कराया। गांव के लोग मवेशी के प्रति इस अनूठे लगाव को देख अभिभूत हुए। तेरहवीं के के मौके पर लोगों ने भैंस के चित्र पर पुष्प अर्पित किये। तेहरवीं की सूचना इंटरनेट मीडिया पर भी वायरल की गई।
मेरठ में किसान सुभाष को उसकी भैंस काफी प्रिय थी। यह भैंस किसान के पास करीब 32 वर्ष से थी। बीते सात वर्ष से उसने दूध भी देना बंद कर दिया था। इसके बाद भी सुभाष ने उसे अपने पास रखा और उसकी खूब सेवा की। सुभाष को अपनी भैंस से इतना प्रेम था कि शायद ही किसी और को होगा। गांव के लोग सुभाष के इस पशु प्रेम की मिसाल दे रहे हैं। कुछ दिन पहले ही भैंस की तबीयत काफी खराब हो गई तो सुभाष ने कई जगहों पर भैंस का इलाज कराया।
उसके इलाज में भी काफी पैसा खर्च किया, लेकिन उसको बचा नहीं सके। इसी दौरान भैंस की मौत के बाद सुभाष के परिवार ने ढोल, नगाड़े के साथ उसे अंतिम विदाई दी। इसके बाद उसकी तेरहवीं के लिए बड़ा आयोजन किया गया। इसके लिए बकायदा टेंट, हलवाई लगाया गया और पूरे गांव को तेरहवीं का प्रसाद खिलाया गया। यहां पर भैंस के लिए एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन भी किया गया। जिसमें ग्रामीणों ने भैंस की फोटो पर फूल माला चढ़ाकर भैंस की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
इस तेरहवीं के मौके पर सुभाष ने पूरे गांव के लोगों को दावत दी। तेरहवीं में आने वाले सभी सभी ग्रामीणों ने वहां पर पूरे विधि-विधान से भैंस को श्रद्धांजलि दी। यह अनूठी तेरहवीं पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है। सुभाष ने कहा कि वो अपनी भैंस को अपने परिवार के सदस्य की तरह ही मानते थे। उन्होंने अपनी भैंस के मरने के बाद उसकी आत्मा की शांति के लिए हर कर्मकांड किया।जिससे उनकी भैंस की आत्मा को शांति मिले।