रवि शुक्ला / मुंगेली: पूर्व ग्राम लोहड़िया में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 23.41 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले 4 सड़कों का भूमि पूजन किया गया। इसके साथ ही नये कृषि कानून पर परिचर्चा करते हुए सांसद अरुण साव नेकहा की 60-70 सालों तक शासन में रहकर किसानों की भलाई के लिए कुछ भी ना कर वाले लोग आज किसानों के हित मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा लागू किये गए कृषि कानून का विरोध करने लगे हैं।
जिला भाजपा कार्यालय में सांसद अरुण साव ने कहा कि देश मे गांव गांव सड़कें कब बनी जब भारतरत्न अटल बिहारी बाजपेयी जी प्रधानमंत्री बने और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना लागू की। इसी तरह धारा 370 व 35 ए कब हटा,तीन तलाक कब खत्म हुआ, पाकिस्तान व चीन को उसी की भाषा मे जवाब कब दिया गया, श्रीराम मंदिर निर्माण का मार्ग कब प्रशस्त हुआ , इन सारे कब का जवाब यह है कि जब भाजपा के नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तब यह सब संभव हो सका। इसी तरह किसानों के हितों के संबंध में तब कानून लाया गया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने। सांसद श्री साव ने आगे कहा कि भाजपा व एन डी ए की सरकार ने देश व जनता के हित की उन सभी कानून को लागू किया जिसका विरोध कांग्रेस हमेशा करती रही। सांसद अरुण साव ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार अपने पहले ही कार्यकाल से किसानों के हितों के प्रति प्रतिबद्ध रही है। सरकार का पूरा जोर कृषि क्षेत्र को समृद्ध और किसानों को सशक्त बनाने पर रहा है। किसानों की आय दोगुनी करने अनेक कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग अभी इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं, वो जब सत्ता में थे तो न्यूनतम समर्थन मूल्य के पक्ष में बात करते थे, लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए, जबकि मोदी सरकार ने एस.एस. स्वामीनाथन की सिफारिशों के अनुरूप एमएसपी तय किया है। उन्होंने कहा कि एमएसपी पहले की तरह बना रहेगा, जबकि अब किसान को अपनी मर्जी से हर जगह उपज बेचने की स्वतंत्रता भी होगी। नए कृषि सुधार विधेयकों के पारित होने से अब बाजार में प्रतिस्पर्धा होगी और किसानों को अपनी मेहनत के अच्छे दाम भी मिलेंगे। कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मजबूत होने से देश की आर्थिक स्थिति और सुदृढ़ होगी और अन्नदाताओं को बिचौलियों के चंगुल से मुक्ति मिलेगी। किसानों का “एक देश-एक बाजार” का सपना भी पूरा होगा।
नए कृषि विधेयको से अब किसानों को मंडी के साथ ही अन्य स्थानों पर अपनी उपज बेचने का विकल्प प्राप्त होगा। आज इन विधेयकों का विरोध करने वाली कांग्रेस गत लोकसभा चुनाव के समय इसकी तरफदार थी, इसका प्रमाण कांग्रेस का खुद का घोषणापत्र है।