MP उपचुनाव | BJP ने घोषित किए उम्मीदवार, सभी सिंधिया समर्थकों को टिकट

भोपाल : मध्य प्रदेश में विधानसभा की रिक्त 28 सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं. सूबे की सत्ता का फाइनल माने जा रहे इस उपचुनाव के लिए सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. बीजेपी ने सिंधिया समर्थक सभी नेताओं को टिकट दिया है. साथ ही उन तीन नेताओं को भी टिकट दिया गया है, जो मार्च में हुई सियासी उठापटक के बाद बीजेपी में शामिल हो गए थे.

बीजेपी ने 28 में से 22 सीटों पर सिंधिया समर्थक उन नेताओं को ही उम्मीदवार बनाया है, जिनके इस्तीफे के बाद कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी. इनमें सुमावली से एदल सिंह कंसाना, ग्वालियर पूर्व से मुन्नालाल गोयल, पोहरी से सुरेश धाकड़, मुंगावली से बृजेंद्र सिंह यादव, सुर्खी से गोविंद सिंह राजपूत, बदनावर से राजवर्धन सिंह, सुवासरा से हरदीप सिंह डंग, दिमनी से गिर्राज दंडोतिया, अंबाह से कमलेश जाटव और गोहद से रणवीर जाटव को टिकट दिया है.

इसके अलावा ग्वालियर से प्रद्युमन सिंह तोमर, डबरा से इमरती देवी, भांडेर से रक्षा संतराम सिरोनिया, करैरा से जसमन्त जाटव, बमौरी से महेंद्र सिंह सिसोदिया, अशोकनगर से जसपाल जज्जी. अनूपपुर से बिसाहूलाल सिंह. सांची से प्रभु राम चौधरी, हाटपिपलिया से मनोज चौधरी, सांवेर से तुलसी सिलावट, मुरैना से रघुराज सिंह और कंसाना से मेहगांव ओपीएस भदौरिया को टिकट दिया गया है.

शिवराज के नेतृत्व में सरकार गठन के बाद भी जो तीन पूर्व विधायक कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए थे, उन्हें भी टिकट दिया गया है. इनमें नेपानगर से सुमित्रा देवी, बड़ा मलहरा से प्रद्युमन सिंह लोधी और मांधाता से नारायण पटेल शामिल हैं. इसके अलावा तीन विधायकों के निधन से खाली हुई सीट पर भी बीजेपी ने उम्मीदवार उतार दिए हैं. इनमें जौरा से सूबेदार सिंह रजौधा, आगर-मालवा से मनोज ऊंटवाल और ब्यावरा से नारायण पवार का नाम शामिल हैं.

नाराजगी को दरकिनार कर दिया गया टिकट

घोषित प्रत्याशियों में से 2 नाम ऐसे हैं जिनकी उम्मीदवारी को लेकर पार्टी के भीतर ही बगावत के सुर उभर गए थे, लेकिन पार्टी आलाकमान ने नाराज नेताओं से पहले ही यह साफ कर दिया था कि टिकट किसे मिलेगा. इनमें हाटपिपल्या से मनोज चौधरी और ब्यावरा से उम्मीदवार नारायण सिंह पवार के नाम शामिल हैं.

चौधरी के नाम को लेकर पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने नाराजगी जताई थी, लेकिन सीएम शिवराज से मुलाकात के बाद उनके सुर बदल गए. नारायण सिंह को लेकर भी स्थानीय कार्यकर्ताओं में नाराजगी थी. स्थानीय कार्यकर्ताओं ने भोपाल पहूंचकर प्रदेश कार्यालय का घेराव भी किया था.

कार्यकर्ताओं के विरोध को दरकिनार कर संगठन ने नारायण पर ही भरोसा जताया. गौरतलब है कि मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ गई थी. विधायक रहे ये सभी बाद में बीजेपी में शामिल हो गए थे.

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