राजनांदगांव. बॉडी बिल्डर मिस्टर छत्तीसगढ़ महेन्द्र यदु का जीवन हौसले और बुलंदी की कहानी है. एक हादसे में पैर गंवाने के बाद वो आज इस बुलंदी पर पहुंच गए हैं. उनकी सफर अवसाद से लेकर शिखर तक पहुंचने का है.
राजनंदगांव शहर में रहने वाले महेंद्र यदु एक पैर से दिव्यांग हैं. बावजूद इसके उन्होंने अपनी कमी को ही अपनी ताकत बनाया और उस हौसले की बदौलत वह मिस्टर छत्तीसगढ़ बन गए. राज्य स्तरीय 21वी बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता में उन्होंने ये खिताब जीत लिया. रायपुर में हुई इस प्रतियोगिता में अलग-अलग वजन समूह में मिस्टर छत्तीसगढ़ दिव्यांग वर्ग का आयोजन किया गया था. उसमें महेंद्र ने सबको पछाड़ते हुए मिस्टर छत्तीसगढ़ का खिताब अपने नाम किया.
हादसे में गंवाया एक पैर
महेंद्र यदु करीब 12 वर्ष पूर्व एक्सीडेंट में अपना एक दाहिना पैर गंवा बैठे थे. उसके बाद तो मानो उनके जीवन में उदासीनता छा गयी. लेकिन धीरे धीरे वो उस गम और सदमे से उबरे. अपने भाई को जिम जाता देख उन्हें लगा कि क्यों ना मैं भी जिम जाऊं. महेन्द्र जिम जाने लगे. उन्हें जिमिंग में मजा आने लगा. देखते ही देखते उनका यह शौक जुनून में बदल गया और उन्हें बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता में ले आया. महेंद्र कामयाब हुए और वह मिस्टर छत्तीसगढ़ बन गए.
दूध बेचकर यहां तक पहुंचे
अपनी हिम्मत लगन और हौसले की बदौलत महेंद्र ने यहां तक का सफर तय किया. वो बिना किसी सरकारी औऱ गैर सरकारी मदद के यहां तक पहुंचे. महेंद्र का कहना है दूध बेचकर ही मैं अपने खर्च उठाता हूं और एक महीने में डाइट में लगभग 10 से 12 हजार रुपये खर्च होता है.
भाई का समर्पण
महेंद्र के भाई का कहना है जब मैं जिम जाता था तो महेंद्र भी मेरे साथ जाता था. मुझे देखकर वो भी जिमिंग करने लगा. लगातार कड़ी मेहनत की बदौलत वो मिस्टर छत्तीसगढ़ बना. कहा जाता है हौसले के सामने बड़ी से बड़ी मुसीबत घुटने टेक देती है. महेन्द्र इसी की मिसाल हैं. वो अपने खेल में लगातार निखार लाते हुए मेडल और ट्रॉफी बटोरे रहे हैं.