जगदलपुर: एक तरफ सरकार कोरोना का संक्रमण का फैलने से रोकने के लिए रोज नए गाइडलाइन तैयार कर रही है। वहीं दूसरी तरफ इन सरकार व आईसीएमआर जैसी संस्थाओं की गाइड लाइन का खुले आम सरकारी अधिकारी ही मखौल उड़ा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला बस्तर में भी आया है।
जगदलपुर सीएमओ आरके चतुर्वेदी को हटाने जिला प्रशासन ने आदेश जारी किया और इसकी जिम्मेदारी जीपी शर्मा को सौंपा। लेकिन इस दौरान जीपी शर्मा कोरोना पॉजिटिव होकर होम आइसोलेशन पर थे। जैसी प्रशासन ने आदेश जारी किया उन्होंने कोविड के होम क्वारंटाइन नियमों को दरकिनार करते हुए 8 वें दिन ही पद संभालने कार्यालय पहुंच गए।
शनिवार को उन्होंने सीएमएचओ बस्तर के रूप में पदभार ग्रहण किया है। ऐसे में अब विभागीय कर्मचारियों और अन्य लोगों में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। गौरतलब है कि सरकार व आईसीएमआर की गाइडलाइन के मुताबिक होम क्वारंटाइम में रह रहे मरीज को कम से कम 17 दिन तक आइसोलेट रहना जरूरी है। यह नियम बीच में रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी जारी रहती है। इस बीच वह बाहर निकलता है तो उसके उपर महामारी अधिनियम के तहत कार्रवाई हो सकती है।
अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ा
क्योंकि कोरोना संक्रमित होने के आठ दिन बाद ही नव नियुक्त सीएमएचओ अपना पदभार ग्रहण करने कार्यालय पहुंच गए हैं। ऐसे में कार्यालय के कर्मचारियों में संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। यह खतरा यहीं नहीं थम रहा बल्कि कोविड के लिए एक्शन प्लान तैयार करने के जिलेभर के स्वास्थ्य अधिकारियों, कलेक्टर व अन्य विभाग के अधिकारियों की बैठक में व बतौर स्वास्थ्य प्रमुख शामिल होंगे। ऐसे में इन सभी में भी संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ गया है।
क्या कहता है नियम
दरअसल हाल ही में राज्य सरकार द्वारा जो गाइडलाइन जारी की है। उसके मुताबिक प्रत्येक कोरोना संकमित मरीज जो होम आइसोलेशन पर हैं, उन्हें कम से कम 17 दिन क्वारंटाइन रहना है। पिछले आदेश में दिनों की संख्या 14 थी। इस बीच वह बाहर नहीं निकल सकता। यदि वह इस नियम का उल्लंघन करता है तो उसके उपर महामारी एक्ट के तहत कार्रवाई हो सकती है। लेकिन अधिकारी सरकार के आदेश को ही दरकिनार कर रहे हैं।
आम आदमी और सरकारी अधिकारी का फर्क
दरअसल जिल में पिछले एक साल में कई ऐसे मामले हैं जब कोविड नियमों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ मामले बनाये गए। लेकिन यही गलती एक अधिकारी द्वारा किए जाने पर प्रशासन मौन हैं। ऐसे में फिर स आम व्यक्ति और शासकीय अधिकारी में फर्क पैदा हो गया है। शासकीय अधिकारियों को नियमों तोड़ निकालने या फिर इसकी अवहेलना मिलने की विशेष छुट कैसे मिल जाती है। जबकि यह कुछ दिन बाद ज्वाइनिंग करने पर भी कोई विशेष फर्क नहीं पड़ जाता।
क्या कहना है अधिकारी कहा
इस सबंध में नवनियुक्त सीएमएचओ जीपी शर्मा से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्होंने १२ अप्रैल को अपना सैंपल दिया था। जिसके बाद 15 अप्रैल को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आयी थी। इसके बाद से वे होम आइसोलेशन पर चल रहे थे। 23 अप्रैल को कोरोना की फिर से जांच कराई। रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद नई जिम्मेदारी संभालने पहुंचा था। इस बीच जिला प्रशासन के आला अधिकारियों का मार्गदर्शन भी लिया गया है।