कांकेर: धर्मांतरित परिवार की बुजुर्ग की मां की लाश का सात दिन बाद फिर से अंतिम संस्कार करने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ है और अब तीन परिवारों का गांव से हुक्का-पानी बंद करने की शिकायत सामने आई है। आमाबेड़ा थाना क्षेत्र के अर्रा गांव में तीन परिवार के लोगों ने एसडीएम और पुलिस के पास यह शिकायत की है कि उन्हें सरपंच, ग्राम पटेल और अन्य लोगों ने खेत से फसल काटने से रोका जा रहा है। नल से पानी लेने से रोका जा रहा है। यही नहीं, गांव से बाहर जाने के लिए धमकाया जा रहा है।
अर्रा गांव की तुलसी बत्ती पोटाई, महेश कावड़े आदि ने एसडीएम और थाने में जो शिकायत की है, उसके मुताबिक उन्हें गांव के लोग धमका रहे हैं कि यदि वे खुद से गांव से बाहर नहीं चले जाएंगे तो उनके घर में तोड़-फोड़ कर भगाएंगे।
आमाबेड़ा थाना प्रभारी हरिशंकर ध्रुव के मुताबिक थाने में शिकायत मिली है। उन्होंने गांव के लोगों को समझाइश दी है। साथ ही, उच्च अधिकारियों को भी घटना के संबंध में जानकारी दी है।
बता दें कि हाल में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें धर्मांतरित परिवारों को सरपंच या गांव के लोगों द्वारा रीति-रिवाज अलग होने के कारण अंतिम संस्कार करने से रोका गया है। एक दिन पहले ही मरदा पटेल पारा में गांव के गायता ने धर्मांतरित परिवार को अंतिम संस्कार करने से रोका गया। इसके बाद रामप्रसाद नाम के व्यक्ति ने प्रशासन से अपनी पत्नी सावित्री के ईसाई कब्रिस्तान में अंतिम संस्कार कर अनुमति मांगी।
प्रशासन की अनुमति के बाद अंतागढ़ में अंतिम संस्कार किया गया। इससे पहले कुर्रूटोला गांव में भी ऐसी स्थिति बनी थी। चैती बाई नाम की महिला को परिजन ने गांव के पटेल और गायता की अनुमति से घर की बाड़ी में दफनाया था, लेकिन बाद में गांव के लोगों ने विरोध करते हुए कब्र खोद दी थी। एक हफ्ते बाद मिशनरी कब्रिस्तान में फिर से इसे दफनाया गया था।