GARIYABAND | संरक्षित जनजाति कमार व भुजिया आदिवासियो के साथ बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी फ़र्ज़ी रजिस्ट्री की खबर: 202 रजिस्ट्री में से मात्र 32 में नक्शा, खसरा, बी-1, और फ़ोटो लगी

गरियाबंद: जिले में निवासरत संरक्षित जनजाति कमार व भुजिया आदिवासियो के साथ बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी फ़र्ज़ी रजिस्ट्री की खबर सामने आई है. बड़े झाड़ के जंगलो को कूटरचना कर कृषि भूमि बताकर रजिस्ट्री करवा दी गई. आदिवासियों को वर्षों गुज़र जाने पर भी ना भूमि का क़ब्ज़ा मिला ना रजिस्ट्री की कापी. 202 रजिस्ट्रीयो में से 170 रजिस्ट्रीयो में ना तो नक़्सा खसरा, बी 1 है ना ही फ़ोटो, ना निरीक्षण रिपोर्ट है. 24 रजिस्ट्रीयो में स्टाम्प पेपर भी नही लगाया गया है. जिन आदिवासियों से ज़मीन क्रय की गई उन्हें भी पूरा पैसा प्राप्त नही हुआ. तात्कालिक भूमि की क़ीमत से 5 गुना ज़्यादा पैसा ले शासकीय पैसे का दुरुपयोग कर इतना बड़ा भ्रष्टाचार किया गया है जो सरकार के संरक्षण बग़ैर सम्भव नही है.

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संयुक्त महासचिव विनोद तिवारी ने बताया

ज्ञात हो की गरियाबंद जिले में कमार एवं भुजिया जनजाति के लोग निवासरत हैं. इस जनजाति के लोगों की संख्या बहुत कम है. ये एक संरक्षित जनजाति के लोग है. भारत के राष्ट्रपति द्वारा इन्हें गोद लिया गया है ताकि इनका समुचित विकास हो, इनके लिये बहुत सी योजनाएँ संचालित की जाती है. इसी कड़ी में कमार भुजिया जनजाति के लोगों को सरकार द्वारा अपने पैसे से ज़मीन क्रय कर मुफ़्त में ज़मीन पंजीयन करा देने का प्रावधान है. इस योजना के तहत सर्व प्रथम कमार भुजिया जनजाति के लोगों को उनके गाँव के समीप उनके पसंद की कृषि योग्य भूमि दिखाई जाती है, उसके उपरांत पटवारी द्वारा सीमांकन कर नक्शा बनाया जाता है, सम्बंधित अधिकारी कर्मचारियों द्वारा भूमि का निरीक्षण किया जाता है. रजिस्ट्री में इस बात का भी उल्लेख किया जाता है की भूमि कृषि योग्य है एवं उक्त भूमि पर बड़े झाड़ का जंगल अथवा झाड़ नही है. उसके बाद भूमि की उपयोगिता प्रमाण पत्र बना रजिस्ट्री करवाने का प्रावधान है. रजिस्ट्री में नक्शा, खसरा, बी-1, फोटो, पंचनामा रिपोर्ट दे, क्रेता विक्रेता सचिव उपपंजीयक के समक्ष प्रस्तुत होते है, तब भूमि की रजिस्ट्री की जाती है एवं भूमि विक्रेता को चेक प्रदान किया जाता है. चेक में प्रभारी परियोजना/सचिव के हस्ताक्षर होते है, उसके बाद रजिस्ट्री कापी क्रेता को दी जाती है, उसके बाद नामांतरण कर भूमि सचिव एवं क्रेता के नाम पर नामांतरण किया जाता है.सूचना अधिकार से प्राप्त प्रमाणित दस्तावेज़ो आधार पर 202 रजिस्ट्री में से मात्र 32 रजिस्ट्रीयो में नक्शा, खसरा, बी-1, और फ़ोटो लगी है बाक़ी 170 रजिस्ट्री में ना तो बी 1 है, ना नक़्सा, ना खसरा, ना फ़ोटो, जो विधि विरुद्ध है. बिना नक़्सा, खसरा, बी 1 के रजिस्ट्री हो ही नही सकती. 24 रजिस्ट्रीयां सादे पेपर में की गई है, स्टाम्प पेपर नहीं लगाया गया है. उपरोक्त बातो से ही अन्दाज़ा लगाया जा सकता है कि किस तरह अधिकारी, जनप्रतिनिधि, जमीन दलालों द्वारा षडयंत्रपूर्वक नियम क़ानून की धज्जियाँ उड़ाते हुए खुला भ्रष्टाचार किया गया है.26 रजिस्ट्री हुए 10 साल हो गया था किंतु, आज तक हितग्राहियों को रजिस्ट्री पेपर नही दिया गया, ना ही ज़मीन दिखाई गई, ना ज़मीन दी गई, ना तो अधिकांश ज़मीनों का नामांतरण हुआ था. जब से सूचना अधिकार में दस्तावेज़ हमें प्राप्त हो गया, तब से मामले को साफ़ करने में जुटे है अधिकारी कर्मचारी

कुछ हितग्राहियों को रात 8 बजे उप-पंजीयक कार्यालय गरियाबंद ले जा कर हस्ताक्षर करवाया गया. जल्जिलाधीश, गरियाबंद को मामले से सम्बंधित समस्त दस्तावेज़, पीड़ितों की वीडियो रिकार्डिंग सौंप, षडयंत्रपूर्वक कूटरचना कर फ़र्ज़ी तरीक़े से किये विधि-विरुद्ध, नियम-विरुद्ध कृत्य की कमेटी बना जाँच करने हेतु दस्तावेज सौंपा

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इस संबंध में आज विनोद तिवारी ने चर्चा करते हुए बताया कि जिलाधीश ने कहा है कि इस संबंध में वे सख्त कार्यवाही करने जा रहे हैं डिप्टी कलेक्टर की एक अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया गया है और ऐसी संभावना है कि 15 से 20 दिनों में सारे प्राकरण सामने आ जाएंगे और दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा.

वही इस संबंध में जिलाधीश श्री श्याम धावडे से चर्चा करने पर वे कहते हैं कि मामला काफी गंभीर है इतनी बड़ी संख्या में अनियमितता होना लापरवाही और भ्रष्टाचार का संकेत है इसलिए वे तत्परता से जांच करवा रहे हैं और अगर घटनाएं  वा स्थितियां सही साबित हुई तो सारे लोगों को जेल जाना पड़ सकता है इसमें उनके अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल हो सकते हैं पिछड़ी जनजाति के साथ इस तरह की धोखाधड़ी कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा इस पर कड़ाई से जांच कर दोषियों पर कार्यवाही की जाएगी.

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