इंदौर:
अपीलांट अथॉरिटी ने जिन 39 डॉक्टरों के एमडीएस में एडमिशन निरस्त कर दिए थे, उन सभी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने कहा है कि उनके साथ अन्याय हो रहा है। पहले उन्हें एडमिशन दिया गया। बाद में इसे निरस्त कर दिया गया। कोर्ट ने शासन, डीसीआई सहित अन्य पक्षकारों से जवाब मांगा है।
बीडीएस पास करने वाले डॉक्टरों को एमडीएस कोर्स में प्रतियोगिता परीक्षा के माध्यम से एडमिशन दिया जाता है। 2016-17 में शासन ने प्रतियोगिता परीक्षा कराई ही नहीं। बीडीएस की परीक्षा में मिले अंकों के आधार पर छात्रों को एमडीएस में एडमिशन दे दिए गए। मामले को लेकर हाई कोर्ट की जबलपुर पीठ में जनहित याचिका दायर भी हुई थी। कोर्ट ने इसका निराकरण करते हुए आदेश दिया था कि एडमिशन एंड फी रेग्यूलेटरी कमेटी इस पूरे मामले में सुनवाई कर आदेश जारी करे। कमेटी ने BDS के अंकों के आधार पर हुए सभी 83 एडमिशन निरस्त कर दिए। छात्रों ने कमेटी के आदेश को चुनौती देते हुए अपीलांट अथॉरिटी के समक्ष अपील दायर की। अथॉरिटी ने तय किया कि जिन छात्रों ने मप्र से बीडीएस किया है, उनके एडमिशन यथावत रहेंगे। वहीं, जिन छात्रों ने प्रदेश के बाहर से बीडीएस किया था, उनके एडमिशन निरस्त कर दिए गए।
ऐसे डॉक्टरों की संख्या 39 है। इन सभी ने अथॉरिटी के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर कर दी। सोमवार को डिविजनल बेंच में इनकी सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट विजयकुमार आसुदानी ने बताया कि कोर्ट ने इस मामले में शासन से जवाब मांगा है।