BOLLYWOOD | किन्नर बनकर पैदा किया था खौफ, धर्मेन्द्र पसंद आया था उनका अंदाज, साथ में की 11 फिल्में, इस वजह से हुई थी दर्दनाक मौत

मुंबई: हिंदी सिनेमा में एक से बढ़कर एक अभिनेता हुए हैं, जिन्होंने विलेन के रोल को निभाकर एक अलग छाप छोड़ी। उन अभिनेताओं के निगेटिव रोल्स को देखने के बाद भी दर्शक उनसे प्यार करते रहें और आज भी उन्हें अपने जेहन में बसाए हुए हैं। फिल्मों में हीरो और खलनायक दोनों की ही अहम भूमिका होती है। इसलिए दोनों के चुनाव में निर्देशकों को काफी सोच-विचार करना पड़ता है।

आज हम जिस अभिनेता की बात करने जा रहे हैं, उन्होंने खलनायक की यादगार भूमिकाएं निभाई हैं। हम बात कर रहे हैं अभिनेता सदाशिव अमरापुरकर के बारे में। जिन्होंने फिल्मी पर्दे पर अपने किरदारों से दर्शकों की तालियों से लेकर सुर्खियों तक वाहवाही बटोरीं। आज हम आपको सदाशिव अमरापुरकर से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं।

सदाशिव अमरापुरकर का जन्म 11 मई 1950 को महाराष्ट्र के अहमदनगर में हुआ था। महाराष्ट्रियन ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए सदाशिव को उनके करीबी लोग प्यार से श्तात्याश् बुलाया करते थे। सदाशिव बचपन से ही असहाय लोगों की मदद किया करते थे और वे एक्टिंग करना चाहते थे। फिल्मों में आने से पहले सदाशिव ने एक्टिंग की शुरुआत मराठी नाटकों से की थी और लगभग 50 नाटकों के बाद फिल्मों की दुनिया में कदम रखा।

सदाशिव की पहली फिल्म 22 जून 1897 थी, यह एक मराठी फिल्म थी और इस फिल्म में उन्होंने बाल गंगाधर तिलक का रोल निभाया था। तो वहीं अभिनेता की पहली हिंदी फिल्म थी अर्धसत्य। इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजा गया। सिर्फ यही नहीं उन्हें फिल्म सड़क के लिए भी फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजा गया था। सदाशिव ने फिल्म सड़क में किन्नर का रोल निभाया था, जिसे लोगों ने काफी पसंद किया था।

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अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म आखिरी रास्ता में भी सदाशिव के किरदार की दर्शकों ने खूब तारीफ की थी। सदाशिव ने बॉलीवुड के लगभग सभी सुपरस्टार्स के साथ काम किया। इनमें धर्मेंद्र, गोविंदा, अमिताभ बच्चन से लेकर आमिर खान, संजय दत्त और सलमान खान तक के नाम शामिल हैं। 

सुपरस्टार धर्मेंद्र को उनका अंदाज इतना पसंद आया कि सदाशिव अपने अपोजिट उनके पसंदीदा विलेन हो गए। जानकार कहते थे कि धर्मेंद्र उन्हें अपने लिए ‘लकी’ मानने लगे थे। यही कारण है कि सदाशिव अमरापुरकर उनके साथ दो-चार नहीं बल्कि 11 फिल्मों में नजर आए।

विलेन के किरदार से दिल जीत चुके सदाशिव अमरापुरकर ने 90 के दशक में सह कलाकार के रूप में थोड़ा कॉमेडी की तरफ भी रुख किया। उन्होंने आंखें, इश्क, कुली नंबर 1, गुप्तरू द हिडेन ट्रुथ, जय हिन्द, मास्टर, हम साथ-साथ हैं, जैसी फिल्में कीं। सदाशिव की आखिरी हिंदी फिल्म थी दिबाकर बनर्जी की बॉम्बे टॉकीज जिसमें उन्होंने कैमियो रोल किया था। 64 साल की उम्र में अभिनेता को फेफड़ों में संक्रमण हो गया था, जिसके चलते 3 नवंबर 2014 को निधन हो गया।

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