चेन्नई:
भारत का चंद्रयान-2 सोमवार, 22 जुलाई को दोपहर 2.43 पर रवाना होगा। आंध्र प्रदेश के श्री हरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से इसरो का अब तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट जीएसएलवी मार्क-3 (बाहुबली) इसे लेकर कूच करेगा। उड़ान के 16 मिनट बाद वह चंद्रयान-2 को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा देगा। चांद पर पहुंचने में उसे 54 दिन का वक्त लगेगा।
इसरो के चेयरमैन के. सीवन ने बताया कि मिशन को छोड़े जाने के लिए उलटी गिनती रविवार शाम 6.43 बजे शुरू हो गई। इस दौरान रॉकेट व अंतरिक्ष यान का गहन परीक्षण किया जाएगा और रॉकेट के इंजन में ईंधन भरा जाएगा।
2008 में भारत ने चंद्रयान-1 भेजा था, लेकिन वह चांद की सतह पर नहीं उतरा था। जबकि चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह पर उतरने के सबसे जटिल अभियान पर जा रहा है। अब तक विश्व के तीन देश अमेरिका, रूस व चीन ही ऐसा मिशन भेज सके हैं। मिशन की कामयाबी से भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।
इस बार उड़ान दोपहर में होने से ज्यादा रोमांच
चंद्रयान-2 को लेकर बाहुबली पहले 15 जुलाई को तड़के 2.51 पर रवाना होने वाला था, लेकिन अंतिम समय में तकनीकी खराबी से प्रक्षेपण टालना पड़ी थी। एक हफ्ते बाद वह अब रात की बजाए दिन में रवाना होगा और उसे उड़ान भरते देखने का देशभर में पिछली बार से ज्यादा रोमांच रहेगा।
16 मिनट में पृथ्वी की कक्षा में
बाहुबली चंद्रयान-2 को उड़ान के 16 मिनट बाद पृथ्वी की कक्षा में रखेगा। धरती से चांद की दूरी लगभग 3 लाख 84 हजार किलोमीटर है। पृथ्वी की कक्षा में पहुंचने के बाद चंद्रमा की लंबी यात्रा शुरू होगी। चंद्रयान-2 के जरिए लैंडर-विक्रम (ख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के नाम) और रोवर-प्रज्ञान चंद्रमा की सतह तक जाएंगे। चंद्रमा की सतह की तमाम जानकारियां जुटाकर इसरो के अंतरिक्ष केंद्र भेजने का मुख्य काम प्रज्ञान का होगा।