MAHASAMUND | यहां जंगली भालू परिवार सहित निकलकर फ्रूटी का मजा लेने आते हैं, नजारा देखने को इकट्ठा होती है भीड़

महासमुंद: क्या आपने कभी भालू को फ्रूटी पीते हुए देखा है? नहीं, तो हम आज आपको छत्तीसगढ़ के उस स्थान पर लेकर जा रहे हैं, जहां जंगली भालू परिवार सहित निकलकर फ्रूटी का मजा लेने आते हैं. सुनने और पढ़ने में ये बड़ा अजीब लग रहा होगा, लेकिन ये सच है. दरअसल यहां इनसान और जंगली जानवर के अनोखे रिश्ते का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है. जबकि इनसानों के हाथ से बड़े मजे से फ्रूटी का आनंद ले रहे भालुओं को देखने के लिए काफी संख्या में लोग भी आते हैं.

हम बात कर रहे हैं महासमुंद जिला मुख्यालय से महज 35 किलोमीटर दूर पटेवा और झलप के बीच एनएच-53 पर स्थित मुंगई माता पहाड़ी की. मुंगई माता मंदिर की पर रोज भालू का एक परिवार फ्रूटी पीने के लिए आता है. जबकि भालुओं की अठखेलियां देखने प्रतिदिन राह चलते बच्चे और बड़े सभी रुकते हैं.

तार के बाड़े और जालियों की आड़ से इन भालुओं को फ्रूटी पिलाते हैं. बिस्कुट, मूंगफली, नारियल भी खिलाते हैं. अपने हाथों से भालु को बिस्कुट खिलाने वाले अजय ने बताया कि यह पहली दफा है जब उन्होंने किसी जंगली जानवर को इतने करीब से देखा है. बता दें कि भालुओं को हिंसक माना जाता है, लेकिन मुंगई माता मंदिर की आज तक किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया है.

ऐसे शुरू हुआ भालुओं के आने का सिलसिला

मुंगई माता पहाड़ी रिहायशी और मुख्य मार्ग में होने के बाद भी नेशनल हाइवे किनारे भालू देखने लोगों की भीड़ लगती है. यहां पर भालू पहले नियमित रूप से नहीं आते थे. जब से मंदिर के पुजारी और राहगीरों ने इनके लिए खाने पीने का इंतजाम किया तब से ये भालू नियमित आने लगे हैं. यहां आने वाले भालू अपने और बच्चों के भोजन-पानी का इंतजाम होने की वजह से खासे मस्‍त नजर आते हैं. यही नहीं,

भालू बिना किसी को नुकसान पहुंचाए खाद्य सामग्री को चाव से खाते हैं. मंदिर के पुजारी स्वयं अपने हाथों से भालुओं को फ्रूटी पिलाते हैं. साथ ही पुजारी पंडित लक्ष्‍मी नारायण तिवारी ने बताया कि यहां भालू पिछले कई सालों से आ रहे हैं. यह किसी को कभी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं.

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