रायपुर ; छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव ( Chhattisgarh Election 2023 ) के चलते टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस और भाजपा में नाराजगी का दौर जारी है साथ ही बगावती प्रत्याशी भी मैदान में आ चुके हैं. पर रायपुर शहर के उत्तर विधानसभा में स्तिथि कुछ अलग है. यहाँ दोनों पार्टियों में बगावती प्रत्याशी तो हैं ही पर भीतरघात का खतरा भी सता रहा है. इसके बाद अब दोनों बड़ी पार्टियाँ उहापोह की स्तिथि में हैं.
समझिये क्या है हाई वोल्टेज ड्रामा ( High Voltage Drama )
रायपुर शहर की इस महत्वपूर्ण सीट पर सिंधी, पंजाबी, गुजराती और ओडिया वोटरों के साथ साहू व अन्य ओबीसी के साथ अल्प संख्यकों की भी अच्छी आबादी है. जिसके मद्देनज़र वोटर के रुझान के आधार पर प्रत्याशी मैदान में उतारे जाते थे. यह सीट 2008 में अस्तित्व में आई. इस सीट पर पहला चुनाव कांग्रेस के कुलदीप जुनेजा ने जीता था. 2013 के चुनाव में कुलदीप जुनेजा भाजपा के श्रीचंद सुंदरानी से हार गए. 2018 में फिर श्रीचंद सुंदरानी को कुलदीप जुनेजा से हराया. यानी इस सीट से दो बार सिक्ख और एक बार सिंधी विधायक को जनता ने चुना था.
इस बार चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के सीटिंग एमएलए जुनेजा के अलावा पार्षद अजीत कुकरेजा, डॉ. राकेश गुप्ता सहित कुछ और लोग भी दावेदार थे. वहीं, भाजपा की तरफ से श्रीचंद और पुरंदर मिश्रा, देवजी भाई के साथ ही कई और दावेदार भी थे. अंतत: कांग्रेस ने जुनेजा और भाजपा ने पुरंदर मिश्रा को टिकट दे दिया है.
दोनों पार्टियों से प्रत्याशी का नाम घोषित होते ही ड्रामा शुरू होता है.
कांग्रेस से प्रबल दावेदार रहे अजीत कुकरेजा ने नामांकन फार्म खरीद लिया है. कुकरेजा कह रहे हैं कि दोनों ही पार्टियों ने इस बार सिंधी समाज के एक भी प्रत्याशी खड़ा नहीं किया. उन्होंने कहा की समाज की बैठक में मुझे चुनाव लड़ने के लिए कहा गया है. लेकिन क्षेत्र की जनता से सलाह मशवरा करके ही कोई फैसला लूंगा.
वहीँ भाजपा से दावेदार देवजी भाई ने भी नामांकन फॉर्म खरीद कर पार्टी में खलबली मचा दी. फाफाडीह में रहने वाले देवजी भाई ने उत्तर सीट से टिकट की मांग की थी, लेकिन पार्टी ने टिकट नहीं दिया. देवजी भाई ने नामांकन फार्म खरीद लिया है पर चुनाव लड़ने को लेकर उनका कोई अधिकृत बयान सामने नहीं आया है.
वहीँ भाजपा से श्रीचंद सुन्दरानी समेत सावित्री जगत ने भी इस सीट से दावेदारी प्रस्तुत की थी. लेकिन टिकट पुरंदर मिश्रा को दिया गया है.
एक सीट पर इतने दावेदार होने के कारण दोनों पार्टियों पर बगावत और भीतरघात का बड़ा खतरा मंडरा रहा है. चुनाव के नामांकन की आखरी तारीख तक इस सीट पर उहापोह की स्तिथि बरकरार रहने वाली है. एवं उसके बाद ही चुनावी रण की साफ़ और असली तस्वीर दिखाई देगी.