रायपुर: मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान प्रदेश, लगभग 92 प्रतिशत आबादी कृषि से जीवन यापन करती है, इस वर्ष मानसून भी 1 सफ्ताह पहले, किसान खरीफ की तैयारी में लगे, 48 लाख हेक्टेयर खरीफ की खेती होती है, धान, मक्का, दलहन, तिलहन की खेती होती है। छत्तीसगढ़ में खरीफ की बुआई का काम तेजी से शुरू हो गयी है। केंद्र सरकार के द्वारा छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ क्रूरतम व्यवहार किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ की भाजपा की मानसिकता शुरू से यहां के किसानों के साथ क्यों नहीं रही, वे किसानों की जरूरतों को अनदेखा करते हैं। बीजेपी से डी पुरंदेश्वरी, शिवप्रसाद, दुष्यंत कुमार सभी यहां आए, किसानों की बात किसी ने नहीं की। इन्हें केवल कुर्सी का मोह है, सत्ता प्राप्ति के लिए क्या कर सकते हैं उसी में लगातार इन्होंने बहस किया, लेकिन किसानों के लिए उनकी चर्चाओं में एक शब्द भी नहीं सुना, पीएम मोदी को कोविड काल मे उच्चत्तम न्यायालय ने कहा आप शुतुरमुर्ग बनकर नहीं रह सकते।
किसानों के मामले में भी यही टिप्पणी उनके लिए फिट बैठती है, हमने किसानों की हित की कोई बात उनके मन से नहीं सुनी, इस साल फसल की उत्पादकता पर केंद्र ने कहा किसानों की आय दुगुनी करेंगे, हमारे यहां खरीफ का रकबा बढ़ता जा रहा है, यूरिया, पोटाश, फास्फेट, इस प्रकार से 12 लाख मीट्रिक टन हमने उर्वरक की मांग केंद्र से की। केंद्र ने अनुमोदन भी किया, स्वीकार भी।
खाद की छत्तीसगढ़ में लगातार जरूरत है, जिसका आबंटन हमें प्राप्त नहीं हुआ, केंद्र ने स्वयं स्वीकृति दी उसके बाद भी किसानों के लिए हमारी मांग को पूरा नहीं किया। छत्तीसगढ़ के किसानों को भाजपा अपना दुश्मन क्यों मानती है।
केंद्र सरकार हमारे साथ लड़े, पर किसानो के साथ ऐसा प्रतिशोध न लें… यहां के किसान राष्ट्रीय उत्पादन में अपना सहयोग करते है, यदि केंद्र सरकार किसानों की मदद नहीं करती तो इसे मैं नेशनल क्राइम मानता हूं। भाजपा के सांसदों से हमने पत्र लिखकर मांग की है कि वे केंद्र से मांग करे, दुर्भाग्य है कि हमें उस पत्र का कोई जवाब नही मिला, उन्होंने केंद्र से कुछ मांग की है या नहीं ये भी मुझे जानकारी नहीं।
छत्तीसगढ़ के किसानों का दोष क्या है, केंद्र सरकार किसानों के साथ इस तरह का व्यवहार क्यों कर रही… केंद्र सरकार दोहरा मापदंड अपना रही। केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ में यूरिया की मांग पूरी नहीं कर रही, लेकिन केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश में 70 प्रतिशत यूरिया, उत्तरप्रदेश में 65 प्रतिशत यूरिया की आपूर्ति की.. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है इसलिए केंद्र सरकार ऐसा रवैया अपना रही है।
छत्तीसगढ़ में 48 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसल की खेती होती है। 39 लाख हेक्टेयर में केवल धान की फसल होती है। खरीफ फसलों की बुवाई का काम शुरू हो गया है। केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ को खाद मुहैया नहीं करा रही है। केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ के साथ सौतेलापन जैसा व्यवहार कर रही है। केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ के साथ अनदेखी कर रही है। छत्तीसगढ़ के भाजपा नेता किसानों के मुद्दे पर केंद्र सरकार से बात ही नहीं करते।
कृषि मंत्री रविंद्र चैबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार 12 लाख मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरको की मांग की थी। हमारे इस मांग पर केंद्र ने स्वीकृति भी दी थी। भाजपा शासित राज्यों को पर्याप्त मात्रा में खाद यूरिया दिया जा रहा है। मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में पर्याप्त मात्रा में खाद यूरिया दिया जा रहा है। कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ को केंद्र सरकार कम खाद यूरिया दे रही है।
कृषि मंत्री रविंद्र चैबे ने कहा कि मैंने भाजपा के सभी सांसदों को पत्र लिखा है। छत्तीसगढ़ में खाद की कमी को लेकर सभी सांसदों को पत्र लिखा है। भाजपा सांसदरें को खाद की कमी दूर करने केंद्र सरकार से बातचीत करना चाहिये। खाद की कमी को दूर करने मुख्यमंत्री जी ने भारत सरकार को पत्र लिखा है। भाजपा और केंद्र सरकार को छत्तीसगढ़ के किसानों की संपन्नता क्यों नहीं देखी जा रही है। आखिर भाजपा छत्तीसगढ़ के किसानों को अपना दुश्मन क्यों मान रही है। केंद्र सरकार किसानों के हित में निर्णय नहीं ले रही है तो इससे खाद्य उत्पादन प्रभावित होगा। यह नेशनल क्राइम है। रमन सरकार ने किसानों का पानी बेचा। अब हमारी सरकार किसानों के हित में सभी निर्णय ले रही है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि राजनैतिक मतमतांतर हो सकते है, होने भी चाहिये। लोकतांत्रिक के लिये पक्ष और विपक्ष दोनों आवश्यक है। पहले डीएपी के दामों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी की, कांग्रेस एवं किसानों ने विरोध किया। खाद डीएपी पर सब्सिडी दी उद्योगपतियों को, किसानों को नहीं। डीएपी 1200 से बढ़ाकर 1900 रू. एहसान नहीं जता रहे।
मध्यप्रदेश को 90 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ को 55 प्रतिशत आखिरकार उर्वरक वितरण में भेदभाव क्यों? मोदी सरकार किसानों को किस बात की सजा दे रही है? मोदी सरकार के दोहरे रवैय्ये पर भाजपा सांसदो भी को पत्र लिखना चाहिये। पहले छत्तीसगढ़ के धान से बना चांवल लेने से इंकार किया। केन्द्र सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है। मानसून एक सप्ताह पहले आ गया है। भाजपा प्रभारी बदलने और बनाने से जनहित में अनदेख जो हो रहा है उसे भाजपा बच नहीं सकती। मानसून पहले आ गई खाद से भरी ट्रेन बाद में छूट जाती है।
छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार के किसान हितैषी नीतियों के चलते धान पैदावार की रकबा और उत्पादन में बढ़ोत्तरी हुयी है। धान का उत्पादन बढ़ाया, किसानों की संख्या बढ़ रही है। मांग के अनुसार खाद की आपूर्ति कम हो गया है। खाद कम होना दुखद दुर्भाग्य पूर्ण।
राज्य कृषक कल्याण परिषद के अध्यक्ष एवं संचार विभाग के सदस्य सुरेन्द्र शर्मा ने पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुये कहा कि केन्द्र की सरकार वर्तमान भूपेश बघेल सरकार को किसानों की मदद करने में हमेशा बाधा उत्पन्न करती है। जबकि छत्तीसगढ़ की सरकार किसानों को समृद्ध करने के लिये कृत संकल्पित है।
धान खरीदी हो, अंतर की राशि देना हो या रासायनिक खाद का आवंटन हो हर बार देखा गया है कि केन्द्र की सरकार राज्य सरकार के किसानोंन्मुखी योजनाओं को बाधित करने के लिये कोई अवसर नहीं चुकती। यह समझ से बाहर है कि केन्द्रीय सरकार छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ इस तरह की बैर भाव क्यों रखती है? जबकि किसान राष्ट्रीय उत्पादन करती है। व्यापार-उद्योग को संमुन्नत करते है एवं देश की सेवा करते है।