मेकॉज में हिसाब गड़बड़ | आयुष्मान योजना से 9 साल में मिले 7.50 करोड़, 7 साल में 3 करोड़ तो सीटी स्कैन जांच में ही कर दिए खर्च

सोहेल रजा
जगदलपुर:
आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज के लिए मिले रुपए के हिसाब में मेकॉज में बड़ा खेल खेला गया है। इस योजना के तहत दवा सप्लाई से लेकर मेडिकल स्टाफ को दिए जाने वाले प्रोत्साहन राशि में बड़ी गड़बड़ियां हुई हैं। मेकॉज प्रबंधन के अनुसार पिछले 9 साल में 3 बार प्रोत्साहन राशि मिली है। जबकि डॉक्टर और अन्य स्टाफ के मुताबिक 3 बार तो प्रोत्साहन राशि किसी को मिली ही नहीं। किसी एक बार तो किसी को सिर्फ दो बार राशि मिली है।

9 साल में योजना के तहत मेकॉज को साढ़े 7 करोड़ रुपए ब्लेम के तौर पर प्राप्त हुए और इसमें से करीब 7 करोड़ 48 लाख मेकॉज प्रबंधन ने अलग-अलग कामों में खर्च भी कर डाले लेकिन जिन कामों के नाम से पैसे खर्च किए गए हैं अब उनमें गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। मेकॉज में सीटी स्कैन मशीन है लेकिन 7 साल में सीटी स्कैन जांच के लिए 3 करोड़ खर्च किए हैं।

पहली गड़बडी- स्टाफ का कहना है कि एक बार प्रोत्साहन राशि मिली, प्रबंधन के हिसाब में तीन बार में 1 करोड़ 13 लाख का भुगतान किया गया है। मेकॉज के डॉक्टरों, स्टाफ नर्साें, वार्ड ब्वाय व अन्य स्टाफ का कहना है कि स्मार्ट कार्ड या आयुष्मान भारत योजना के तहत कार्ड से इलाज करवाने के बदले मिलने वाली प्रोत्साहन की राशि उन्हें नहीं मिल रही है। स्टाफ का कहना है कि पिछले 9 साल में किसी स्टाफ को एक बार और किसी स्टाफ को दो बार प्रोत्साहन राशि के तौर पर मिले हैं। जबकि मेकॉज प्रबंधन जो हिसाब बता रहा है उसमें स्टाफ को तीन बार में करीब 1 करोड़ 43 लाख का भुगतान किया गया है।

मेकॉज प्रबंधन के हिसाब के अनुसार वर्ष 202-3 में 7,32,825, 203-44 में 50 लाख और वर्ष 205-46 में 56 लाख 5 हजार नौ रुपए का भुगतान तीन अलग-अलग बार में किया गया है। डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें सिर्फ एक से दो बार भातान हुआ है। इसके अलावा नौ सालों में स्टाफ को कुल नौ बार राशि का भुगतान होना था जो नहीं हुआ।

दूसरी गड़बड़ी- सालों तक लगातार सीटी स्कैन के लिए करीब तीन करोड़ से ज्यादा का भुगतान किया जबकि मेकॉज के पास अपनी खुद की मशीन आयुष्मान भारत योजना और स्मार्ट कार्ड से इलाज के लिए मिलने वाली राशि का एक बड़ा हिस्सा सीटी स्कैन के लिए किए जाने की जानकारी मेकॉज प्रबंधन ने दी है। इस जानकारी के अनुसार पिछले 9 साल में 204-2 से लेकर वर्ष 207-8 तक करीब तीन करोड़ रुपए की राशि सिर्फ सीटी स्कैन के लिए खर्च करने की बात कही गई है जबकि मेकॉज प्रबंधन के पास अपनी खुद की सीटी स्कैन मशीन थी हालांकि यह मशीन बीच-बीच में खराब रहती थी लेकिन जितनी राशि का भुगतान सीटी स्कैन के लिए किए जाने की बात कही जा रही है उतनी राशि में तो नई सीटी स्कैन मशीन आ जाती।

अधीक्षक मेकॉज अधीक्षक डॉ केएल आजाद ने बताया कि प्रोत्साहन राशि मिलने के लिए कई नियम हैं। इनमें सबस प्रमुख नियम यह है कि हर महीने कम से कम 5 सौ लोगों का इलाज कार्ड से होना चाहिए, इसके अलावा भी कई अन्य नियम हैं फिर भी पता करता हूं कि 9 साल में सिर्फ दो या तीन बार ही पैसे क्यों मिले।

कुल क्लेम की राशि का 25 प्रतिशत स्टाफ को देना है। आयुष्मान में मिली क्लेम की राशि का 25 प्रतिशत हिस्सा मेडिकल स्टाफ को दिया जाना है। इस को भी 5 हिस्सों में बांटना है जिसमें 55 प्रतिशत प्रमुख चिकित्सक एवं सहायक चिकित्सक, 30 प्रतिशत नर्सिंग स्टाफ और पैरामेडिकल व अन्य राशि पंजीयक व सहायक आदि को दी जानी है।

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