बीजापुर: 15-16 अगस्त की दरम्यानी रात बाढ़ का पानी कोमला गांव में भरने लगा। ग्रामीणों और परिजनों के साथ देर रात करीब 3:30 बजे अंजली जान बचाकर कोमला गांव से 5 किलोमीटर दूर मिनगाछल गांव के धाकड़पारा में शरण लेने को मजबूर हुई।
अंजली अपने घर पर अपने पिता सोमलु कुडियम, दादी, बुआ और भाई के साथ रहती है। भाई नैमेड के सरकारी स्कूल में कक्षा छठवीं में पढ़ता है। पिताजी पेशे से किसान हैं। 5 एकड़ की खेत मे किसानी कर किसी तरह अपनी और परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। मगर बाढ़ के पानी ने 5 एकड़ के खेत मे खड़ी फसल को आधे से ज़्यादा तबाह कर दिया।
अंजली भैरमगढ़ के सरकारी स्कूल से 12वीं की परीक्षा पास कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी घर पर ही रहकर करने लगी। 15-16 अगस्त की दरम्यानी रात आये बाढ़ में अंजली का घर जमींदोज हो गया और बांस की टोकरी में रखी पुस्तकें पूरी तरह से भीग गयी थीं। अंजली की नज़र जैसे ही अपनी भीगी हुई पुस्तकों पर पड़ी वो फूट फुट कर रोने लगी।
एक आदिवासी बच्ची के पुस्तक प्रेम और शिक्षा के प्रति लगाव को देख स्थानीय पत्रकार मुकेश चन्द्राकर ने खबर का प्रसारण किया। जिसके बाद खबर सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी। भीगी हुई पुस्तकों को देख अंजली की सिसक सिसक कर रोते हुए वीडियो क्लिप को मुकेश चन्द्राकर ने ट्विटर पे भी पोस्ट किया था। जिसे कुछ लोगों ने रिट्वीट कर सोनू सूद को टैग किया।
कुछ देर बाद ही सोनू सूद के ऑफिसियल ट्विटर हैंडल से स्थानीय पत्रकार को ट्विटर पर ही मैसेज कर अंजली से जुड़ी जानकारी मांगी गई। इसके बाद सोनू सूद की टीम ने स्थानीय पत्रकार और अंजली से संपर्क कर उसकी पढ़ाई के लिए हर सम्भव मदद करने का भरोसा दिलाया