BHOPAL NEWS | 10 फर्जी वेबसाइट से 10 हजार लोगों से 10 करोड़ की ठगी, जानिए मामला

भोपाल: भोपाल पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक ऐसी लड़की को गिरफ्तार किया है जिसने 10 फर्जी वेबसाइट बनाकर करीब 10 हजार लोगों को अपना शिकार बनाया और ₹10 करोड़ से ज्यादा की ठगी की। पुलिस ने उसके मंगेतर और बहन को भी गिरफ्तार किया है। जबकि उसका दोस्त फरार हो गया। लड़की का नाम नेहा भट्ट निवासी उत्तराखंड बताया है। ठगी के कारोबार में फर्जी वेबसाइट डेवलपमेंट सबसे महत्वपूर्ण था इसलिए वेबसाइट डेवलपर डेविड कुमार जाटव निवासी गाजियाबाद से सगाई कर ली थी ताकि राज की बात राज बनी रहे, ब्लैकमेलिंग ना हो और वेबसाइट डेवलपमेंट का खर्चा खत्म हो जाए। पुलिस का कहना है कि नेहा बहन मनीषा भट्ट कॉल सेंटर का मैनेजमेंट देखती थी। इंटरनेट पर 0% ब्याज पर लोन उपलब्ध कराने का विज्ञापन देकर लोगों को फसाया जाता था और फिर कॉल सेंटर के माध्यम से शिकार बना लिया जाता था।

एडीजी भोपाल उपेंद्र जैन ने बताया कि जनवरी 2020 में आवेदक पद्मेश सिंह ने शिकायत की थी। उन्होंने बताया कि दिसंबर 2019 में www.swiftfinance.in पर पर्सनल लोन का विज्ञापन देखा। कॉल करने पर बहुत कम दर पर लोन दिलाने का भरोसा दिलाया। उसके बाद उन्होंने अलग-अलग खातों में रुपए जमा करवा लिए। रुपए पहुंचने के बाद बेवसाइट दिखना बंद हो गई। 

उनकी शिकायत की जांच में सायबर क्राइम ब्रांच को 9 महीने तक मेहनत करना पड़ी। इस मामले में पुलिस ने नोएडा से डेविड कुमार जाटव उसकी मंगेतर नेहा भट्ट और उसकी बहन मनीषा भट्ट को गिरफ्तार किया। उनका एक साथी कमल कश्यप नाम का चौथा आरोपी फरार है।आरोपी इंटरनेट पर फर्जी वेबसाइट का विज्ञापन देते थे। इस पर ग्राहक लोन लेने के लिए अपनी पर्सनल जानकारी डालते थे। जानकारी के अनुसार कंपनी के कॉल सेंटर से ग्राहकों को लड़कियां कॉल करती थीं। लोगों से प्रोसेसिंग फीस, सिक्यूरिटी डिपोजिट, GST एवं वनटाइम ट्रांजेक्शन के नाम पर अलग-अलग चार्ज के लिए करीब 40 हजार रुपए ऑनलाइन जमा करवाते थे। एक वेबसाइट करीब ढाई माह ही चलाते थे। इस दौरान करीब 12 लोगों को शिकार बना लेते थे। हर महीने फर्जी बैंक खाते एवं सिम कार्ड बदल देते थे।

एडीजी भोपाल उपेंद्र जैन ने बताया ने बताया कि आरोपियों को पकड़ने के लिए 9 महीने तक लगातार काम करना पड़ा। लोन के नाम पर ठगी का शिकार लोग शिकायत कर कसते हैं। आरोपियों ने नोएडा में दो कॉल सेंटर किराए पर ले रखे थे। इनका 1.50 लाख रुपया एक महीने का किराया था। इसमें 10 से 15 हजार रुपए के वेतन पर 30 लड़कियों को रखा गया था। लड़कियों को प्रत्येक ग्राहक का रिकार्ड साफ्ट कॉपी में एक्सल में नोट करना होता था। इनसे अब तक करीब 10 हजार लोगों का रिकॉर्ड मिला है।

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