सोहेल रजा
नारायणपुर: जल, जंगल और जमीन के लिए बस्तर के आदिवासी नारायणपुर में आंदोलन कर रहे हैं। आदिवासियों ने तहसीलदार की बात सुनने से इनकार कर दिया है। वे विधायक, सांसद और मंत्री से बात करने पर अड़े हैं। परिवार के साथ बस्तर के कई गांवों के आदिवासी सैकड़ों की संख्या में सड़क पर हैं। बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि वे आंदोलन पर नजर बनाए हुए हैं।
आईजी ने ग्रामीणों से शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है। बस्तर के आईजी सुंदरराज पी का कहना है कि गुरुवार से ओरछा मार्ग पर सड़क पर धरना पर बैठे ग्रामीणों को धरना खत्म करने की समझाइश देने की कोशिश की जा रही है। शासन-प्रशासन द्वारा भी ग्रामीणों के साथ बैठक कर उनकी मांगों पर विचार करने की तैयारी की जा रही है। आईजी ने कहा है कि फिलहाल उन्होंने नारायणपुर पुलिस के माध्यम से ग्रामीणों को शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है। वर्तमान में स्थिति सामान्य है। वहीं 6 ग्रामीणों के गिरफ्तारी के मामले में आईजी ने कहा कि यह एक कानूनी प्रक्रिया है जिस पर कार्रवाई जारी है।
17 दिसंबर तक आंदोलन की चेतावनी
आदिवासियों ने अपने इस आंदोलन को आगामी 17 दिसंबर तक जारी रखने की बात कही है। गुरुवार को करीब 6 हजार आदिवासी जुटे थे, शुक्रवार को ये संख्या बढ़ गई है। ग्रामीण छोटे डोंगर और ओरछा मार्ग में धरने पर बैठे हैं। वे 6 ग्रामीणों को छोड़ने की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही पुलिस कैंप खोले जाने का विरोध कर रहे हैं। आदिवासियों ने आमदई खदान को लीज पर देने के विरोध में भी मोर्चा खोल रखा है।
राशन-पानी लेकर आए ग्रामीण
नारायणपुर में आदिवासियों ने आमदई खदान को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू किया है। धौड़ाई के पास हजारों की संख्या में आदिवासी घने जंगलों के बीच पारंपरिक हथियारों के साथ धरने पर बैठे हैं। इस वजह से नारायणपुर से आने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, आदिवासियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जाती हैं, वे वहां से नहीं हटेंगे। ग्रामीण अपने साथ राशन पानी भी लेकर आए हैं। ठंड के मौसम में आग के सहारे रात काट रहे हैं।