रांची (झारखंड):
रांची में चल रहे जगन्नाथपुर मेले में जिन चार बच्चों के शवों की नुमाइश की जा रही थी, वे असली निकले। राजेंद्र इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (रिम्स) के इंटरनल बोर्ड ने शनिवार को इन बच्चों के शवों का पोस्टमॉर्टम किया। हालांकि, अभी यह पता नहीं चल पाया है कि बच्चों की मौत कब और कैसे हुई। इसका पता लगाने के लिए इंटरनल बोर्ड सोमवार को अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचेगा।
मेले में बच्चों के शवों की नुमाइश की शिकायत पर पुलिस ने 10 जुलाई को छापेमारी कर कोलकाता के तीन लोगो वकील माइटी, पिंटू माइटी और प्रभात सिंह को गिरफ्तार किया था। इन्होने पहले बताया कि ये प्लास्टिक की डॉल हैं। बच्चों के शव असली हैं या नकली, यह पता करने के लिए चारों शव एक ही चालान पर पोस्टमार्टम के लिए रिम्स भेजे गए। इस पर अस्पताल ने पोस्टमार्टम से इनकार कर दिया। फिर पुलिस ने सबके लिए अलग-अलग चालान भेजा और शनिवार का पोस्टमार्टम हुआ।
शिकायत पर पहुंची थी पुलिस
पिछले बुधवार को कुछ लोगों ने रांची पुलिस से शिकायत की थी कि मेले में एक जगह बच्चों के शवों को प्रदर्शनी के तौर पर दिखाया जा रहा है। दर्शकों से 10-10 रुपए के टिकट लिए जा रहे थे।
पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से चार बच्चों और कई जानवरों के शव बरामद किए थे। सख्ती से पूछताछ करने पर उन्होंने कबूल किया- ये बच्चों के शव हैं, जिन्हें कोलकाता के गरीब परिवारों से खरीदे हैं।
पहले भी सामने आ चुके हैं मामले
2017 में देवघर में भी ऐसी घटना हुई थी। तब 12 से ज्यादा अर्द्धविकसित बच्चों के शव केमिकल सॉल्यूशन में शीशे के जार में बंद मिले थे। इस पर काफी हंगामा हुआ था। पिछले साल सितंबर में कोलकाता में भी ऐसे बच्चों के शव मिले थे। पुलिस ने इसे मेडिकल वेस्ट बताकर पल्ला झाड़ लिया था।