नई दिल्ली : बिलकिस बानो (Bilkis Bano) गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 11 दोषियों की रिहाई का आदेश रद्द कर दिया है. गुजरात सरकार के आदेश को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीड़िता की तकलीफ को समझना जरूरी है.
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुयन की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अपराध का अहसास होने के लिये सजा दी जाती है. इस मामले में गैंगरेप के 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने समय से पहले रिहा कर दिया गया था.
कोर्ट ने कहा है कि हमारा मानना है कि गुजरात सरकार के पास सजा में छूट के लिए आवेदनों पर विचार करने या उन पर आदेश पारित करने का कोई अधिकार नहीं था. इस दौरान जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि सुनवाई के दौरान कुछ बातें सामने आईं-
• क्या धारा 32 के तहत दायर याचिका सुनवाई योग्य है?
• क्या सजा में छूट के आदेश पर सवाल उठाने वाली जनहित याचिकाएं सुनवाई योग्य हैं?
• क्या गुजरात सरकार इस पर आदेश पारित कर सकती है?
• क्या सजा में छूट देना नियमों के अनुकूल था?
इससे पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में गुजरात सरकार ने दोषियों की सजा माफ करने के फैसले को सही ठहराया था. समय से पहले दोषियों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल भी उठाए थे. हालांकि, कोर्ट ने कहा था कि वो सजा माफी के खिलाफ नहीं है, बल्कि ये स्पष्ट किया जाना चाहिए कि दोषी को किस आधार पर माफी दी गई.
बिलकिस बानो ने इस मामले में 30 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की थीं. पहली याचिका दोषियों की रिहाई के खिलाफ थी. इसमें सभी दोषियों को फिर से जेल भेजने की मांग की गई. दूसरी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश पर विचार करने की मांग की गई है जिसमें कहा गया था कि दोषियों की रिहाई पर फैसला गुजरात सरकार करेगी.
बिलकिस बानो का कहना था कि जब केस का ट्रायल महाराष्ट्र में चला था फिर गुजरात सरकार फैसला कैसे ले सकती है?