मुंबई / इस्लामाबाद : पाकिस्तान में छिपे भारत का मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी दाऊद इब्राहिम को जहर दिये जाने की खबरें आ रही हैं और उसकी हालत काफी नाजुक है। उसको कराची के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस खबर के आने के बाद पाकिस्तान में फेसबुक, एक्स (पूर्व में ट्विटर), यूट्यूबर और गूगल सर्विस डाउन हो गई हैं, जिससे कोई कम्यूनिकेशन नहीं हो पा रहा है। इस खबर की कोई आधिकारिक पुष्टि भी नहीं हो पा रही है। दाऊद पहले से ही किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहा था।
एक्स पर कई लोग दावा कर रहे हैं कि दाऊद को जहर दिया गया था जिसके बाद उसकी हालत काफी नाजुक हो गई। इलाज के लिए उसे कराची के किसी अस्पताल में भर्ती कराया गया है लेकिन पाकिस्तान उससे संबंधित खबर को छुपाकर रखना चाहता है। हालांकि अभी तक किसी भी सरकारी एजेंसी या मीडिया द्वारा इसकी पुष्टि नहीं की गई है।
पाकिस्तान में इसी के साथ सुबह से कई राज्यों में इंटरनेट सेवा काम नहीं कर रही है। कई जगहों पर इंटरनेट काफी धीमा किया गया है। दावा किया जा रहा है कि दाऊद की खबर छुपाने के लिए इंटरनेट को बंद किया गया है। हालांकि, कुछ लोगों का कहना है कि पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ के प्रमुख व पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की वर्चुअल रैली के चलते ये कदम उठाया गया है।
आखिर ऐसा क्या है कि दाऊद इब्राहिम को पाकिस्तान ने अपना करीबी बनाया। वह भी तब जब लगातार पाकिस्तान के ऊपर इस बात का दबाव पड़ता रहा कि भारत के नंबर वन दुश्मन को पाकिस्तान में पनाह क्यों दी। लेकिन पाकिस्तान ने इन सब की परवाह किए बगैर भारत के बड़े दुश्मन और डी कंपनी के दाऊद इब्राहिम को न सिर्फ पाकिस्तान में शरण दी। बल्कि भारत में आतंक फैलाने का पूरा तंत्र उसके हाथों में दे दिया। मुंबई के पूर्व पुलिस अधिकारियों और लंबे समय तक अंडरवर्ल्ड की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों से इन्हीं मुद्दे पर बातचीत हुई, तो कुछ महत्वपूर्ण बिंदु निकलकर सामने आए। इससे पता चलता है कि कुछ ऐसे मुद्दे थे जो दाऊद इब्राहिम को पाकिस्तान का करीबी बनाने के लिए काफी रहे।
वर्ष 1993 के दौर में मुंबई पुलिस की स्पेशल ब्रांच के अधिकारी रहे प्रवीण वानखेड़े कहते हैं कि पाकिस्तान हमेशा से उन लोगों का साथ देता था जो कि भारत को अस्थिर कर सके। नब्बे के दशक में दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान का एक बड़ा मोहरा बना, जिसने पाकिस्तान की शह पर देश के अलग-अलग हिस्सों में ड्रग्स, हथियार और आतंक का वह नेटवर्क खड़ा किया, जो पाकिस्तान की पहली चाहत थी। वानखेड़े कहते हैं कि 1993 में आईएसआई के चीफ जनरल जावेद नासिर ने दाऊद इब्राहिम को जितना सपोर्ट किया, उससे वह अपना अवैध साम्राज्य खड़ा करता गया। वह कहते हैं कि 1993 में हुए मुंबई में बम धमाके तत्कालीन आईएसआई चीफ जनरल जावेद नासिर के इशारे पर ही किए गए थे। यही वह बड़ी वजह बनी कि पाकिस्तान ने दाऊद पर अपना दांव लगाना शुरू कर दिया।
कुछ पुलिसकर्मियों का मानना है कि पाकिस्तान दाऊद पर दांव इसलिए भी लगाता रहा, क्योंकि वह भारत को खोखला करने के लिए अवैध नशे की तस्करी का सबसे बड़ा चैनल था। मुंबई के बंदरगाहों पर जिस तरीके से दाऊद इब्राहिम का सिक्का चलता था और अवैध नशे के कारोबार को उसने बढ़ावा देना शुरू किया, वह पाकिस्तान के लिए फायदे का सौदा साबित होता रहा। मुंबई के अलग-अलग बंदरगाहों समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में दाऊद इब्राहिम ने अपना इतना बड़ा नेटवर्क बनाया कि पाकिस्तान से सीधे नशे की तस्करी को बढ़ावा मिलने लगा। वह कहते हैं कि हालात यह हो गए कि 90 के दशक में मुंबई की गलियों में बिकने वाले हर नशे के पीछे दाऊद और दाऊद के पीछे पाकिस्तान खड़ा था।
मुंबई में दाऊद की बढ़ती हनक के साथ पाकिस्तान को भारत में अपने मंसूबों को कामयाब करने के लिए दाऊद को खड़ा करना जरूरी लगने लगा। मुंबई पुलिस के पूर्व रिटायर्ड अधिकारी डीपी चौधरी कहते हैं कि पाकिस्तान दाऊद को इस तरह सपोर्ट करता था कि उसने शुरुआती दौर में दाऊद को दुबई में बड़ा शेल्टर देना शुरू कर दिया। 1993 में मुंबई हमलों के बाद पाकिस्तान ने दाऊद को भागने और फिर उसको शरण देने में सबसे बड़ी मदद की। चौधरी कहते हैं कि दाऊद ने दुबई में रहकर ब्लैक मनी के साथ-साथ मनी लॉन्ड्रिंग का बड़ा कारोबार स्थापित करना शुरू किया। इसमें पाकिस्तान हमेशा उसकी न सिर्फ मदद करता था, बल्कि ब्लैक मनी को बढ़ावा देने के लिए वह तमाम संसाधन उपलब्ध कराता था, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचे।
दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान के मंसूबों को आगे बढ़ाने में उसकी मदद करता रहा। यही वजह रही कि दाऊद पाकिस्तान का और करीबी होता चला गया।
बहरहाल सबों की निगाहें दाऊद की स्थिति और उसके बारे में पाकिस्तान सरकार व स्थानीय प्रशासन की ओर टिकी हुईं हैं कि वे क्या कहते हैं।