रायपुरः छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों की तस्वीर बदल रही है। नक्सलों के प्रभाव वाले इलाकों में सुरक्षा बलों की मौजूदगी से लोगों का भरोसा बढ़ रहा है। सरकार की विकास योजनाओं से आम लोगों के लिए सुविधाएं बढ़ी हैं। बस्तर में सुरक्षा बलों के कैम्प लोगों के लिए सुविधा केंद्र बन गए हैं। आमजन में सुरक्षा बलों के प्रति पहले से कहीं ज्यादा भरोसा बढ़ा है। नक्सलियों के लिए चुनौतियां बढ़ रही हैं क्योंकि यहां पुरुष के साथ महिला जवान भी मोर्चा संभाल रही हैं।
सोमवार को पुलिस जवानों के राजधानी के पुलिस लाइन में नववर्ष मिलन समारोह में बस्तर अंचल के अंदरूनी क्षेत्रों में डयूटी पर तैनात जवानों के जज्बे की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि कई चुनौतियों के बावजूद हमारे जवान अपने दायित्वों का बखूबी निवर्हन कर रहे हैं। आम जनता का उनपर विश्वास बढ़ा है। यह हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है।
मुख्यमंत्री से चर्चा के दौरान दंतेश्वरी फाइटर्स की सदस्य सुनैना पटेल ने बताया कि दंतेश्वरी फाइटर्स की सदस्य संख्या 30 से बढ़कर 60 हो गई है। वे पुरुष जवानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर नक्सल गश्त, नक्सल मोर्चे संभालने और कैम्प खोलने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों की जिम्मेदारी बखूबी निभा रही हैं।
डीआरजी की महिला सदस्य पूनम यादव ने बताया कि वह सुकमा जिले के पोटमपल्ली और पलाईगुड़ा कैम्प के निर्माण में सहयोगी रहीं। उन्होंने बताया कि कैम्प निर्माण के शुरुआती दौर में स्थानीय लोगों ने पहले विरोध किया, लेकिन अब वहां बैरक, शौचालय, फैन्सिंग, लाइट और सड़क निर्माण जैसे कार्य होने से लोगों का भय कम होने लगा है। सीआरपीएफ की जॉनसी जाना के मुताबिक, अब रोड कनेक्टिविटी और कैम्प में सुविधाएं बढ़ गई हैं, जिससे पुलिस पर स्थानीय लोगों का भरोसा बढ़ा है।
एसटीएफ के जवान ने बताया कि उन्होंने पांच कैम्प के निर्माण में सुरक्षा कार्य का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने कहा कि सभी जगह स्थानीय लोगों से कैम्प के प्रति सकारात्मक रिस्पॉन्स मिल रहा है। लोग कैम्प बनाने पर जोर दे रहे हैं। इसका प्रमुख कारण है कि हम कैम्प से सड़क का निर्माण, स्कूलों का पुन:निर्माण, अपने पास उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के अलावा स्वास्थ्य शिविर के माध्यम से इलाज मुहैया करा रहे हैं।
कोंडागांव जिले से आए डीआरजी के एएसआई ने बताया कि पहले वे नक्सली गतिविधियों में शामिल थे। छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति के तहत वे डीआरजी में शामिल हुए। उन्होंने बताया कि पहले जंगल में भटकना पड़ता था पर अब खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। सुदूर दुर्गम क्षेत्र में कैम्प खुल जाने से नक्सली घटनाओं में कमी आई है। बीजापुर में पदस्थ डीआरजी के जवान राम लाल नेताम ने बताया कि इटेपाल और पुसनार में कैम्प खोले गए हैं। अब नक्सलियों द्वारा सड़क काटे जाने के वारदातों में कमी आई है।
एसडीआरएफ के जवान जागेश्वर धीवर ने बताया, राज्य में आपात स्थिति से निपटने के लिए 60 टीम तैनात है। देश के सबसे लंबे 100 घंटे से अधिक समय तक चले राहुल रेस्क्यू में भी हमारी टीम ने पूरी तत्परता के साथ कार्य किया। हमने बाढ़ और विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए 1200 आपदा मित्रों को भी प्रशिक्षित किया।