अम्बिकापुर: आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की 98वीं जयंती है. इस मौके पर देशभर के लोग उन्हें याद कर नमन कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने “सदैव अटल” पहुंचकर पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि अर्पित की. अटल बिहारी वाजपेयी की छत्तीसगढ़ से भी यादें जुड़ी हुई है. अटल बिहारी वाजपेयी आज से 36 साल पहले मनेंद्रगढ़ और चिरमिरी आए थे.
साल 1986 में चिरमिरी आए थे अटलजी
खुद कवि और पत्रकार से लेकर प्रधानमंत्री पद तक का सफर तय करने वाले भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी एक राष्ट्रकवि का सम्मान करने काले हीरे की नगरी चिरमिरी में 1986 में आए थे. चिरमिरी के नेताजी सुभाष मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम में अटल बिहारी वाजपेयी ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर रहते हुए भी एक कवि के तौर पर राष्ट्र कवि श्रीकृष्ण सरल का सम्मान किया था और मंच से अटल जी ने अपनी स्वरचित कविता का पाठ भी किया था.
अटल बिहारी वाजपेयी राष्ट्रकवि श्रीकृष्ण सरल के साथ ही चिरमिरी आए थे. अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा सम्मानित होने के बाद कवि श्रीकृष्ण सरल को कई मंचों पर सम्मानित किया गया. अटलजी ने राष्ट्रकवि श्रीकृष्ण सरल को सरकार द्वारा सम्मानित किए जाने का मामला संसद में उठाए जाने के बाद उन्हें सरकार द्वारा कई सम्मान से नवाजा गया. श्रीकृष्ण सरल को लेकर अटलजी ने चिरमिरी में यह कहा था कि एक राष्ट्रकवि जिनके द्वारा अपने स्वयं के खर्चे से देश के सभी शहीदों और क्रांतिकारियों पर रचनाएं लिखी.
कवि को किया सम्मानित
शहीदों का ब्यौरा जुटाकर शोध किया, उनकी जानकारी दुनिया तक पहुंचाई. ऐसे कवि का सम्मान होना चाहिए. अटल जी ने चिरमिरी में कवि श्रीकृष्ण सरल को सम्मानित करने के बाद यह कहा कि काले हीरे की नगरी में जो सम्मान श्रीकृष्ण सरल को दिया गया है. यह सम्मान किसी राष्ट्रीय सम्मान से कम नहीं है.
बता दें कि स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी चिरमिरी में राष्ट्रकवि श्रीकृष्ण सरल का सम्मान करने आए थे, लेकिन बीजेपी कार्यकर्ताओं की जीत के आगे उन्हें हार मानना पड़ा और मनेंद्रगढ़ के हाईस्कूल मैदान में उन्हें बीजेपी की आमसभा को राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते संबोधित करना पड़ा. अटलजी ने कहा कि मैं यहां एक पवित्र कार्यक्रम के लिए आया हूं. मैं भारतीय जनता पार्टी के किसी कार्यक्रम में सम्मिलित नहीं होना चाहता, लेकिन कार्यकर्ताओं के काफी अनुरोध के आगे वह हार गए और मनेंद्रगढ़ में सभा को संबोधित किया. सभा में बीजेपी कार्यकर्ता की ओर से बीजेपी के दिवंगत नेता ने उन्हें 61 हजार रुपए की पोटली भेंट की.
भारतीय जनता पार्टी के अविभाजित सरगुजा जिला कोषाध्यक्ष सुदर्शन जायसवाल के घर में उनका भोजन हुआ था. सुदर्शन जायसवाल ने उनका हाथ धुलवाया था और खाना परोस कर खिलाया था.
यहां जानें दिलचस्प किस्सा
अटल बिहारी वाजपेयी वर्ष 2003 में जब छत्तीसगढ़ पहली बार आए थे, तो उन्होंने सरगुजा जिला मुख्यालय अम्बिकापुर के पीजी कॉलेज मैदान में चुनावी सभा को संबोधित किया था. इस दौरान चारों ओर कांग्रेस का बोलबाला था. इसके बाद विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जीत मिली थी.
वरिष्ठ बीजेपी कार्यकर्ता अधिवक्ता विजय प्रकाश अटल बिहारी वाजपेयी के 36 साल पहले हुए दौरे को याद करते हुए बताते हैं कि जब मैं अटल जी को प्रणाम करते हुए अपना परिचय दिया था कि मैं विजय प्रकाश पटेल तो उन्होंने कहा कि कौन से पटेल हो बड़ा बाजार, बड़ा पटेल या छोटा बाजार छोटा पटेल. तो मैंने कहा कि मैं छोटा बाजार, छोटा पटेल. तो उन्होंने कहा कि मुझे जानकारी यही थी कि चिरमिरी में दो पटेलों ने बीजेपी के लिए काम किया है.
एक बड़ा पटेल चंद्रकांत पटेल, जो बड़ा बाजार में रहते हैं. एक छोटा पटेल विजय प्रकाश पटेल, जो छोटा बाजार में रहते हैं. विजय प्रकाश पटेल ने बताया कि छोटे से छोटे कार्यकर्ताओं की जानकारी अटल जी के पास थी. जो आज के समय के नेता में कम देखने को मिलती है.