रायपुर: छत्तीसगढ़ में आरक्षण (Chhattisgarh Sarkari Naukari) का पेंच अब केवल राजनीतिक विवाद नहीं रह गया है। आरक्षण विवाद के कारण छत्तीसगढ़ के सवा लाख उम्मीदवारों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसको लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री लगातार भाजपा और राजभवन पर आरोप लगाते दिख रहे हैं। मुख्यमंत्री का आरोप है कि छत्तीसगढ़ में राज्यपाल के कारण सरकारी भर्ती रुकी हुई है। हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आबादी के अनुपात पर आरक्षण देने का फैसला किया है। आइए आपको बताते हैं कि सीएम भूपेश बघेल के दावे की सच्चाई बताते हैं।
आरक्षण की वजह से जारी नहीं हो रहे परिणाम
दरअसल, आरक्षण संशोधन विधेयक को विधानसभा में सर्व सहमति से पारित हो गई। इसके बाद फाइल राजभवन में गई थी। अभी तक राजभवन में फाइल रुकी हुई है। इस विधेयक को लेकर राज्यपाल अब तक कुछ जवाब नहीं दे रही है लेकिन इससे दर्जनभर परीक्षाओं के रिजल्ट फंसे हुए हैं, जिसमें सवा लाख से ज्यादा उम्मीदवार हताश दिख रहे हैं। इस साल राज्य प्रशासनिक सेवा परीक्षा 2021, वन सेवा परीक्षा, इंजीनियरिंग सर्विस, यूनी भर्ती समेत अन्य कई दर्जन भर परीक्षाएं हुई है। जिनके परिणाम तैयार हैं लेकिन आरक्षण में हो रहे विवाद के कारण इसे जारी नहीं किया गया है।
निराश हैं अभ्यर्थी
वहीं, खई अभ्यर्थी भर्ती के लिए निर्धारित अधिकतम उम्र सीमा के आखिरी पायदान पर खड़े हैं। उन्हें भी आरक्षण विवाद को लेकर काफी हताशा दिख रही है। 20,000 से अधिक सीटों के लिए हुए इन परीक्षाओं को लेकर दिसंबर में एडमिशन की उम्मीद जताई जा रही थी लेकिन माह बीतने के कगार पर पहुंच चुका है और अब तक कोई तैयारी नहीं हुई है। इतना ही नहीं अगर इस साल प्रवेश नहीं होता है तो कई ऐसे हैं, जिनका साल खराब हो जाएगा।
इन परीक्षाओं के रिजल्ट बाकी
साल 2021 और 2022 में हुई परीक्षाओं का परिणाम अभी भी आना बाकी है, जिसमें पीएससी 2021 का इंटरव्यू पूरा हो चुका है, जिसका फाइनल रिजल्ट आना बाकी है। वन सेवा परीक्षा जिसका अभी भी इंटरव्यू बचा हुआ है। असिस्टेंट डायरेक्टर रिचार्ज, आयुर्वेद मेडिकल ऑफिस, इंजीनियरिंग सर्विस 2021, फिजियोथैरेपिस्ट, प्यून भर्ती परीक्षा का एग्जाम हो चुका है। इन सभी का रिजल्ट आना बाकी है। इसके साथ ही सीएमओ 2022, साइंटिफिक ऑफिसर, वैज्ञानिक अधिकारी केभी परिणाम अब तक जारी नहीं किए गए हैं।
वहीं, पुलिस भर्ती परीक्षाएं हो चुकी हैं जिनका सत्यापन व शारीरिक परीक्षण किया जाना बाकी है। इन सभी में आरक्षण का पेंच भारी पड़ रहा है क्योंकि जब तक आरक्षण को लेकर स्थिति साफ नहीं हो जाएंगे, तब तक इसी प्रकार से प्रदेश में भर्तियां करना संभव नहीं होगा। इसलिए प्राथमिक तौर पर पहले इस मसले को हल करना चाहिए ताकि युवाओं की हताशा दूर हो।
सीएम भूपेश बघेल हैं नाखुश
वहीं, इस आरक्षण मामले को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजभवन से नाखुश दिखाई दे रहे हैं। लगातार मुख्यमंत्री बघेल आरक्षण के मामले में बीजेपी और राजभवन के बीच राजनीतिक षड्यंत्र करने की बात कर रहे हैं। साथ ही यह भी कह रहे हैं कि छत्तीसगढ़ के साथ छलावा हो रहा है। सैकड़ों हजारों पद स्वीकृत है और राज्यपाल इस बिल को लेकर बैठी हुई हैं। वह बिल वापस नहीं कर रही है और न ही दस्तखत कर रही हैं। छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए यह बहुत नुकसानदायक है। यह बिल तत्काल पारित होना चाहिए
उन्होंने कहा कि बीजेपी पहले मार्च पास्ट की अब चुपचाप क्यों बैठी है। यह सब बड़ी-बड़ी बातें हैं जो अधिकार नहीं है। राज्यपाल पत्र लिख रही हैं जो उनको करना है, वह नहीं कर रही हैं। सीएम ने कहा कि राज्यपाल को विधेयक पर हस्ताक्षर कर तत्काल हमारे पास वापस भेजना चाहिए।
केंद्रीय गृह मंत्री से मिलीं राज्यपाल
छत्तीसगढ़ में आरक्षण विधेयक को लेकर छत्तीसगढ़ के राज्यपाल अनुसुइया उइके सोमवार को संसद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की है। वहीं, आज राज्यपाल विधेयक को लेकर 11:00 बजे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करेंगी। शाम 6:30 बजे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से इस पर चर्चा भी करेंगी। राज्यपाल अनुसूया ने इस आरक्षण विधेयक पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात के लिए समय ले रखा है, जैसे ही समय मिलेगा वह प्रधानमंत्री मोदी से चर्चा करेंगी।
गौरतलब है कि गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर राज्यपाल ने विधानसभा में पारित आरक्षण संशोधन विधेयक पर चर्चा की है। साथ ही बताया कि छत्तीसगढ़ में हाईकोर्ट में 58% आरक्षण व्यवस्था को रद्द कर दिया है। इसके बाद राज्य में विधानसभा में 76% आरक्षण विधेयक पास कर दिया है।