चंडीगढ़: हरियाणा के गुरुग्राम में रहने वाली एक महिला ने शख्स पर रेप का आरोप लगाया। पुलिस ने केस दर्ज किया और उसे जेल भेज दिया। कुछ दिन बाद महिला ने एक अन्य शख्स पर रेप केस किया। दूसरे आरोपी को भी जेल भेजा गया। इस तरह से महिला ने एक के बाद एक 9 ऐसे पुरुषों को निशाना बनाया। उसने रेप के आरोप लगाए और न जाने कितनों को रेप केस में फंसाने के नाम पर उनसे वसूली की। पुलिस के हत्थे चढ़ी महिला के खिलाफ पुलिस ने जांच के बाद दस्तावेज एकत्र किए और उसे जेल भेज दिया। महिला ने जमानत के लिए पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका की। बुधवार को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की बेंच भी महिला की करतूत जानकर हैरान हो गई। महिला की जमानत याचिका खारिज कर दी गई।
हाई कोर्ट में राज्य सरकार के वकील ने महिला के खिलाफ दस्तावेज दाखिल किए। पता चला कि महिला वसूली और रंगदारी का रैकेट चलाती है। हाई कोर्ट ने मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखा। हाई कोर्ट ने कहा कि कथित अपराधों की गंभीरता और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता को विभिन्न व्यक्तियों के खिलाफ मामले दर्ज करने की आदत है। उसकी जमानत याचिका खारिज की जाती है। महिला 27 जनवरी, 2022 से जेल में बंद है।
ऐसे पुलिस के शिकंजे में फंसी महिला
महिला के खिलाफ मामला तब खुला जब एक मां ने उसके खिलाफ शिकायत की। महिला ने पुलिस से बताया कि एक महिला ने उसके बेटे को दुष्कर्म के मामले में झूठा फंसाने की कोशिश की थी। उसने पुलिस को बताया कि महिला ने उसके बेटे से दोस्ती की। उसके साथ घूमती-फिरती थी। डेट पर जाती थी और दोनों ने सहमति से शारीरिक संबंध बनाए। बाद में महिला ने उसे रेप केस में फंसाने की धमकी दी और उससे रुपयों की वसूली की। उसने और रुपये मांगे तो बेटा डर गया तब मां ने महिला के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
ब्लैकमेलिंग करके वसूलती थी रकम
शिकायत दर्ज करने के बाद पुलिस ने महिला को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। जांच के दौरान सामने आया कि यह अकेला मामला नहीं था। उससे पहले महिला ने 9 ऐसे लोगों को झूठे रेप केस में फंसाकर जेल भेजने की धमकी दी। जो उसकी धमकी से डर गए तो उन्होंने उसे रुपये दे दिए। जो उसकी ब्लैकमेलिंग से नहीं डरे तो महिला ने उन लोगों के खिलाफ रेप केस कर दिया।
एक साल में 9 लोगों को बनाया निशाना
याचिका का कड़ा विरोध करते हुए गुरुग्राम पुलिस ने मनोज कुमार, सहायक पुलिस आयुक्त, उद्योग विहार, गुरुग्राम के माध्यम से अदालत में एक रिपोर्ट दायर की, जिसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता को युवकों और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की आदत थी। सितंबर 2020 और नवंबर 2021 के बीच याचिकाकर्ता द्वारा 9 प्राथमिकी दर्ज की गई थीं। पुरुषों और उनके परिवार के सदस्यों को बलात्कार, शीलभंग आदि के अपराधों में फंसाने का उसका एक पैटर्न है।