नई दिल्ली: लंबे समय से सऊदी अरब अपनी अजीब और खौफनाक सजाओं के लिए मशहूर रहा है. इसका मुख्य कारण वहां के कड़े नियम और कानून हैं, जिनकी वजह से किसी भी सूरत में आरोपी को नहीं बख्शा जाता है. हालांकि, पिछले कुछ समय से सऊदी अरब में दी जाने वाली सख्त सजाओं में थोड़ी ढील जरूरी देखी गई थी, लेकिन अब एक बार फिर ऐसी खबर सामने आई है, जो किसी भी इंसान की रूह कंपाने के लिए काफी है.
दरअसल, सऊदी अरब में 10 दिनों के अंदर ही 12 लोगों को सजा-ए-मौत देते हुए, उनका सिर धड़ से अलग कर दिया गया है. इनमें कई लोग तो ऐसे थे, जिनकी गर्दन को तलवार से काटा गया.
जाहिर तौर पर आज के समय में इस तरह की सजा के बारे में सोचना भी खौफनाक है. लेकिन आधुनिक तरक्की से लिपटा हुआ सऊदी अरब अपनी पुरानी कुप्रथाओं को छोड़ नहीं पा रहा है.
सजा पाने वाले अधिकतर प्रवासी लोग
अंग्रेजी अखबार टेलीग्राफ के अनुसार, सऊदी अरब में जिन 12 लोगों का सिर काट दिया गया, वह अधिकतर प्रवासी लोग हैं. जिनमें तीन पाकिस्तानी, चार सीरियाई और दो जॉर्डन के रहने वाले हैं. हालांकि, इन सभी लोगों में तीन सऊदी नागरिक भी शामिल हैं. सभी पर ड्रग्स संबंधित कानून के उल्लंघन का आरोप था, जिसके चलते इन्हें सजा-ए-मौत दी गई थी.
मार्च में 81 लोगों को सजा-ए-मौत
मार्च महीने में सऊदी अरब सरकार की ओर से 81 लोगों को खौफनाक सजा-ए-मौत का आदेश दिया गया था. इन 81 लोगों में कई उग्रवादी संगठनों से जुड़े लोग भी थे. सऊदी अरब के मॉडर्न इतिहास में पहली बार इतनी संख्या में लोगों को सजा-ए-मौत की सजा दी गई थी.
साल 2018 में सऊदी अरब सरकार ने इस तरह की सजा को घटाने का भी फैसला किया था. उस समय ऐसी चर्चा थी कि सऊदी सरकार इस तरह की सख्त सजा सिर्फ उन लोगों को देगी जिनपर किसी की हत्या या मारकाट का आरोप होगा. मोहम्मद बिन सलमान ने कहा था कि सऊदी सरकार चर्चा कर रही है कि किस तरह से मौत की सजा को कम से कम लोगों को दी जाए.
हालांकि, ऐसा ज्यादा समय तक नहीं हुआ और करीब दो साल बाद ही सऊदी अरब में इस तरह की खौफनाक सजाएं लोगों को दी जाने लगी हैं. जबकि सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान लगातार सऊदी अरब की न्याय व्यवस्था में बदलाव की बात भी लगातार करते रहे हैं.
इस साल सबसे ज्यादा लोगों को मौत की सजा
अंग्रेजी वेबसाइट मिरर के अनुसार, साल 2022 में नवंबर महीने की 22 तारीख तक 132 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई. चौंकाने वाली बात यह है कि इस साल का आंकड़ा बीते साल 2021 और 2020 से कहीं ज्यादा है.
सऊदी अरब की इस तरह की सजाओं को लेकर अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी सवाल उठता रहा है. इसी वजह से सऊदी अरब में सजा-ए-मौत के मामले कम करने की बात भी की जाती है, लेकिन सरकार पूरी तरह से इस मामले में आगे नहीं बढ़ पाती है.