भोपाल: मेडिकल एजुकेशन (medical education in hindi) के क्षेत्र में एमपी में एक नए युग की शुरुआत हो गई है। देश में पहली बार एमपी में मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में शुरू हो रही है। गृह मंत्री अमित शाह ने एमबीबीएस की तीन किताबों का हिंदी में विमोचन किया है। फर्स्ट ईयर की तीन किताबों में बायोकेमिस्ट्री, फिजियोलॉजी और एनाटॉमी है। इन विषयों का हिंदी वर्जन तैयार किया है। तीनों किताबों में करीब 3410 पेज हैं। इसके साथ ही कुछ अंग्रेजी शब्दों को देवनागरी में लिखा गया है। किताब के विमोचन के साथ ही इस सत्र से हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई शुरू हो जाएगी। एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में शुरू होने से मेडिकल के क्षेत्र में नई क्रांति आएगी।
दरअसल, कुछ सालों पहले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि मेडिकल और तकनीकी शिक्षा की पढ़ाई मातृभाषा में होगी। इसके बाद एमपी सरकार ने पहल शुरू की थी। एमपी सरकार ने पिछले ही साल हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई की घोषणा की थी। इसके बाद पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा था। डॉक्टरों की एक टीम तैयार की गई थी। सीमित समय के अंदर ही टीम ने प्रथम वर्ष के लिए तीन किताबों को हिंदी में ट्रांसलेट कर दिया है। वहीं, जिन अंग्रेजी शब्दों के हिंदी नाम नहीं हैं, उन्हें देवनागरी में लिखा गया है।
रिमोट दबाकर गृह मंत्री ने किया लॉन्च
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी में एमबीबीएस की किताबों का विमोचन किया है। उन्होंने रिमोट दबाकर तीनों किताबों का विमोचन किया है। तीन किताबों में बायोकेमिस्ट्री, फिजियोलॉजी और एनाटॉमी है। इसके साथ ही प्रदेश में मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में शुरू हो जाएगी। इस दौरान मंच पर मौजूद लोगों के हाथ में किताबें थीं।
3410 पेज की हैं तीन पुस्तकें
दरअसल, एमपी में पहली बार मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में शुरू हो रही है। एमबीबीएस के तीनों विषयों की अंग्रेजी की पुस्तकों का हिंदी रुपांतरण करने में तकनीकी पहलुओं का ख्याल रखा है। इस मौके पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि हमारा विभाग आगे अन्य पाठ्यक्रमों का भी हिंदी रुपातंरण करेगा। एमबीबीएस फर्स्ट ईयर की तन पुस्तकों में बायोकेमिस्ट्री, फिजियोलॉजी और एनाटॉमी है। तीनों विषयों की किताबों में 3410 पेज हैं।
वहीं, एनॉटॉमी विषय के तीन वॉल्यूम में कुल 1543 पेज हैं। फिजियोलॉजी विषय में दो वॉल्यूम में 1069 पेज होंगे। अब बीमारियों के नाम भी छात्र हिंदी में बढ़ेंगे। वहीं, जिनके शब्द उपलब्ध नहीं हैं, उन्हें देवनागरी में लिखा गया है।
हिंदी में लिखेंगे दवाओं के नाम
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अंग्रेजी की वजह से मेडिकल के छात्र हीन भावना से ग्रसित होते थे। कुछ लोगों ने मेडिकल की पढ़ाई छोड़ देते थे। अब उनके लिए नया सवेरा आने वाला है। सीएम ने कहा कि अब उनकी जिंदगी में नई शुरुआत होने वाली है। सीएम ने डॉक्टरों से अपील की है कि हिंदी में वह अंग्रेजी दवाओं के नाम लिखे।
सीएम ने कहा कि छह इंजीनियरिंग और छह पॉलिटेक्निक कॉलेजों में हिंदी की पढ़ाई होगी। इसके साथ ही आयुर्वेदिक कॉलेजों में भी हिंदी की पढ़ाई होगी। आईआईटी और आईआईएम में भी पढ़ाई हिंदी में करवाएंगे। साथ ही हिंदी के छात्रों के लिए अलग से मैरिट लिस्ट बनवाएंगे। सीएम ने कहा कि हमने हिंदी को कठिन नहीं बनाया है। लीवर को हिंदी में लीवर ही लिखा है।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मातृ भाषा में मेडिकल की पढ़ाई पर हमें गर्व है। शिवराज सरकार ने देश में सबसे हिंदी में पढ़ाई शुरू कर मोदी जी की इच्छा की पूर्ति है। बाद में इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी हिंदी में शुरू होगी। देश के सारे विद्यार्थी अपनी मातृ भाषा में तकनीकी शिक्षा हासिल करेंगे।
गृह मंत्री ने कहा कि देश विद्यार्थी जब अपनी भाषा में पढ़ाई करेंगे, तभी वह सच्ची सेवा कर पाएंगे। साथ ही लोगों की समस्याओं को समझ पाएंगे। 10 राज्यों में इंजीनियरिंग की पढ़ाई उनकी मातृभाषा में शुरू होने वाली है। इस पर काम चल रहा है। मैं देश भर के युवाओं से अह्वान से कहता हूं कि अब भाषा कोई बाध्यता नहीं है। इससे आप बाहर आएं।
हिंदी में ऐसे लिखा जाएगा नाम
लीवर, किडनी, स्पाइन, प्लाज्मा, हार्मोन्स, एंजाइम, जेनेटिक्स, एलर्जी, पैथोलॉजी, कीमोथैरेपी, टॉक्सिकोलॉजी, कार्डियो वास्कुलर सिस्टम, अपर लिंब, एब्डोमेन, पेल्विस, ब्रेन जैसे शब्दों के प्रचलित नाम को रखा गया है। सीएम ने भी कहा कि अधिकांश ऐसे अंग्रेजी नाम हैं, जिनके कठिन हिंदी नाम होते हैं। उनमें बदलाव नहीं किया गया है।