अहमदाबाद: गुजरात में सूरत के एक स्कूल टीचर बच्चों में करुणा, दया और प्रेम का भाव जगाने के लिए मिसाल कायम कर रहे हैं। वह सजा के तौर पर बच्चों को छड़ी की मार नहीं बल्कि नीम का जूस पिलाते हैं। उनका कहना है कि इससे उन्हें कुछ समय तक कड़वाहट जरूर सहनी पड़ती है लेकिन शरीर के लिए यह बेहद फायदेमंद है। महेश पटेल 1992 से सूरत में स्कूलों का संचालन कर रहे हैं। वह सूरत में तीन भाषाओं में 5 स्कूल चलाते हैं। पिछले 18 साल से वह बच्चों को गांधीवादी तरीके से करुणा का पाठ पढ़ा रहे हैं। वह खुद भी गांधीवाद अपना चुके हैं और महात्मा गांधी की सीखों के आधार पर जीवन बिताते हैं। महेश पटेल का मानना है कि बच्चों के साथ मारपीट करने से वह और विद्रोही हो जाएंगे।
नीम के पत्तों से जूस निकालने की मशीन लगवाई
महेश पटेल का कहना है कि जब तक उनके दिल में आदर नहीं होगा, तब तक चरित्र और व्यवहार में बदलाव नहीं आएगा। उन्होंने स्कूल में नीम के पत्तों से जूस निकालने की मशीन लगवाई है। जब बच्चों को सजा देना अनिवार्य हो जाए तो वे उन्हें नीम का जूस पीने को देते हैं। जो कि बच्चों के शरीर के लिए भी फायदेमंद है।
महेश पटेल के गांधीवाद का यह इकलौता तरीका नहीं है। बच्चों में देशप्रेम की भावना जगाने के लिए वह 15 दिन नंगे पैर रहे। उनके स्कूल प्रशासन ने आदेश निकाला था कि 26 जनवरी को जो स्कूल नहीं आएगा उस पर कार्रवाई होगी लेकिन उन्होंने नियम बदल दिया।
15 दिन तक नंगे पैर रहे
महेश पटेल का मानना है कि बच्चों में देशप्रेम नहीं है तो यह टीचर्स की गलती है। इसके बाद उन्होंने 15 दिन तक नंगे पैर रहने का फैसला किया। कुछ ही दिनों में बच्चों पर इसका असर हुआ और उन्होंने नंगे पांव स्कूल आकर टीचर से माफी मांगी।