जशपुर: छत्तीसगढ़ में परंपरागत खेती से हटकर अलग-अलग प्रयोग कर रहे हैं। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के जशपुर में काजू की खेती हो रही है। काजू की खेती से किसानों की जिंदगी बदल गई है। आठ हजार से अधिक किसान काजू की खेती में अलग-अलग जगहों पर लगे हैं। इससे उनकी अच्छी कमाई भी हो रही है। काजू प्रोसेसिंग यूनिट से आसपास के लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। महिलाओं को प्रोसेसिंग यूनिट में काम मिल रहा है। इससे उन्हेंन महीने में 28-30 हजार रुपये तक की आमदनी हो रही है।
छत्तीसगढ़ के जशपुर में उत्पादित काजू अपनी पौष्टिकता और स्वाद की वजह से विशेष पहचान बना रहा है, इसकी डिमांड राज्य के अन्य शहरों के साथ ही देश के दूसरे राज्यों में भी हो रही है। दरअसल, छत्तीसगढ़ के उत्तरी क्षेत्र में मौसम मैदानी और दक्षिणी क्षेत्रों से अलग है। जशपुर में मौसम की अनुकूलता को देखते हुए जिला प्रशासन जशपुर में परंपरागत खेती से अलग बागवानी और उद्यानिकी फसलों को प्रोत्साहित कर रही है। इसी कड़ी में यहां काजू की खेती शुरू की गई। जशपुर की आबोहवा काजू की खेती के लिए बेहद अनुकूल है, ऐसे में लगातार यहां काजू की खेती की ओर किसान आकर्षित हो रहे हैं।
इसके लिए उद्यानिकी विभाग की ओर से किसानों को उन्नत किस्म के काजू के पौधे और उन्नत कृषि की तकनीकी जानकारी मुहैया कराई जा रही है। उत्पादन को देखते हुए जिले में काजू प्रोसेसिंग प्लांट भी स्थापित किया गया है।काजू प्रोसेसिंग प्लांट लगने के बाद से किसानों को फसल की तिगुनी-चौगुनी कीमत भी मिलने लगी है।
किसानों का बढ़ा मुनाफा
पहले जिले में जब प्रोसेसिंग प्लांट नहीं थी, जब किसान 30-40 रुपये किलो अपना फल बेचते थे। अब काजू के फल 80 से 120 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। प्रोसेसिंग प्लांट में काजू के प्रसंस्करण और पैकेजिंग के बाद इसे बाजार में भेजा जाता है।
आठ हजार किसान कर रहे खेती
काजू की खेती और प्रसंस्करण के बाद बाजार में मिलने वाली कीमत को देखते हुए जिले में लगातार किसान काजू की फसल लेने लगे। जानकारी के मुताबिक जशपुर जिले के अंतर्गत दुलदुला में दो हजार किसान, कुनकुरी में दो हजार, कांसाबेल में एक हजार, पत्थलगांव में 800 और फरसाबहार में 500 किसान काजू की खेती कर रहे हैं। वहीं, उद्यानिकी विभाग की ओर से किए गए काजू प्लांटेशन से करीब डेढ़ हजार किसान जुड़कर खेती कर रहे हैं।
संजीवनी केन्द्रों में भी जशपुर काजू
जशपुर काजू की बढ़ती मांग को देखते हुए इसके मार्केटिंग पर भी खासा ध्यान दिया जा रहा है। राज्य शासन के जरिए भी लगातार अनेक माध्यमों से जशपुर काजू को प्रमोट किया जा रहा है। वन विभाग की ओर से संचालित संजीवनी केन्द्रों में काजू को जशपुर ब्रांड नेम से बेचा जा रहा है। वहीं, अब इसे ऑनलाइन मार्केट प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध कराने की कवायद हो रही है।