SUKMA | कलेक्टर ऑफिस में पुलिस का सुरक्षा घेरा तोड़ सैकड़ों आदिवासी घुस गए, कलेक्टर पर बेरुखी ​बरतने का आरोप लगाया

सुकमा: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में मंगलवार को सर्व आदिवासी समाज के बैनर तले सैकड़ों ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट कार्यालय परिसर में प्रदर्शन किया। आदिवासियों ने सुकमा कलेक्टर पर बेरुखी ​बरतने का आरोप लगाया और उन्हें जिले से हटाने की मांग की। 

सर्व आदिवासी समाज की सुकमा इकाई ने मंगलवार को जिले में ग्रेड तीन और चार की सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों को शत प्रतिशत आरक्षण देने, नक्सली होने के आरोप में जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों को निष्पक्ष जांच के बाद बरी करने और आदिवासियों के धर्म परिवर्तन में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने समेत 20 सूत्रीय मांगों को लेकर कलेक्ट्रेट कार्यालय तक रैली निकाली। बाद में समाज के ​लोग कलेक्टर कार्यालय परिसर में प्रवेश कर गए। 

आदिवासियों को रोकने में पुलिस रही नाकाम
सुकमा जिले के इस वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण कलेक्टर कार्यालय परिसर में एकत्र हैं। इस दौरान पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन वे परिसर में प्रवेश करने मे कामयाब हो गए। सर्व आदिवासी समाज के सुकमा जिले के प्रमुख पोज्जा राम मरकाम ने बताया कि हाल ही में उनका एक प्रतिनिधिमंडल अपनी मांगों को लेकर कलेक्टर विनीत नंदनवर से मिलने पहुंचा था लेकिन कलेक्टर ने उन्हें समय नहीं दिया। 

आदिवासियों ने कलेक्टर को हटाने की मांग
मरकाम ने बताया कि इसके बाद आदिवासी समाज ने कलेक्टर को हटाने सहित मांगों को लेकर कलेक्टर कार्यालय का घेराव करने का फैसला किया। उन्होंने बताया कि उनकी मांगों में वर्ष 2013 में एडेसमेटा गांव में पुलिस गोलीबारी में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा और नौकरी देने तथा तीन नगर पंचायतों-सुकमा, कोंटा और दोरनापाल को वापस ग्राम पंचायतों में परिवर्तित करना आदि शामिल है। 

कलेक्टर ने किया आरोपों से इनकार
मरकाम ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने अपना आंदोलन समाप्त करने से पहले अनुविभागीय दंडाधिकारी को अपनी मांगों के संबंध में ज्ञापन सौंपा। इधर कलेक्टर विनीत नंदनवर ने कहा है कि जिला प्रशासन हमेशा स्थानीय लोगों की मांगों पर ध्यान देता है और उस पर उचित कार्रवाई करता है। सुकमा जिले के अधिकारियों ने बताया कि कुछ लोग जिला प्रशासन को निशाना बनाने के लिए इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रहे हैं। 

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