गोसाई समाज में 5 दिन के लिए महिलाओं को सौंपा जाता है परिवार के प्रधान का जिम्मा, घर में घुसे तो होती है पति की पिटाई, भीख मांगकर करते हैं गुजारा

खंडवा: होली के त्योहार पर खंडवा के गोसाई समाज में एक अनूठी परंपरा निभाई जाती है। यहां 5 पांच दिनों के लिए महिलाओं को परिवार में प्रधान का जिम्मा सौंप दिया जाता है। होली के दिन महिलाएं पुरुषों पर लाठियां भांजती है और उन्हें घर से निकाल देती हैं। रंगपंचमी तक यह पुरुष खेतों पर रहते हैं तथा पड़ोस के गांवों से भीख मांगकर गुजारा करते हैं। यह परंपरा आज भी बरकरार है, इस दौरान महिलाएं सालभर का हिसाब-किताब कर लेती हैं।

ये अनूठी परम्परा खंडवा जिले के हरसूद विकासखंड के गांव कोड़ियाखेड़ा में आज भी प्रचलन में है। यहां होली के दिन गोसाई समाज के पुरुषों को घर से बाहर कर दिया जाता है और पंचमी तक 5 दिनों के लिए सिर्फ महिलाओं का ही हुक्म चलता है। अगर वे घर में प्रवेश करने की कोशिश भी करते हैं तो महिलाएं उनको लट्ठ से पीटती हैं। रंगपंचमी के बाद ही पुरुषों की घर वापसी होती है।

खेत पर होता है गुजारा, पकड़े गए तो सजा

पांच दिन तक पुरुष गांव के अन्य घरों से भिक्षा मांगकर अपना पेट भरते हैं। पुरुषों को घर में घुसने से रोकने के लिए समाज की महिलाएं रात के समय भी हाथों में लट्ठ लिए चौकीदारी करती हैं। ऐसे में पुरुषों को खेत में रात बितानी पड़ती है। समाज के पूर्व सरपंच रूपगिरी गोसाई ने बताया उनके पूर्वजों के समय से यह परंपरा बरकरार है, जो आज भी निभाई जा रही है। पुरुषों को किसी भी तरह घर में प्रवेश नहीं करने दिया जाता है। पकड़े जाने पर पुरुष को घोड़ा बनाकर महिलाएं उस पर सवारी करती हैं। सजा के तौर पर फगवा मिलने के एवज में उन्हें छोड़ा जाता है।

परंपरा का उद्देश्य महिलाओं की प्रधानता

समाज के बुजुर्ग रामगिरी गोसाई बताते हैं इस परंपरा के जरिए हमारे समाज की महिलाओं को प्रधानता दी जाती है। उन्हें आगे आने का मौका दिया जाता है। समाज की इस परंपरा को नई पीढ़ी ने भी उसी रूप में स्वीकारा है। युवा मोहनगिरी गोसाई ने बताया महिलाओं द्वारा की गई सामूहिक पिटाई में चोट तो लगती है, लेकिन कभी कोई गंभीर नहीं हुआ।

बदला लेने का यह मौका, वह भी सार्वजनिक

समाज की बिनुबाई ने बताया उनका कोई भी रिश्तेदार हो। उसे होली से पंचमी तक खूब पीटते हैं, होली पर महिलाएं काली का अवतार बन जाती हैं। यह एक ऐसा मौका है जब महिलाओं को पति से बदला लेने का पूरा अवसर मिलता है। पांच दिनों तक महिलाएं पति बन जाती है। अगर सालभर में पति ने उन पर किसी तरह का अत्याचार भी किया हो तो वे उसका बदला उनसे ले लेती हैं। इसमें किसी को बुरा भी नहीं लगता है।

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