दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में साल 2011 में एस्सार और माओवादियों के बीच पैसे की लेन-देन को लेकर पुलिस की कार्रवाई पर अब NIA की विशेष अदालत का फैसला आ गया है। इस मामले में पुलिस ने सोनी सोढ़ी समेत उनके भतीजे लिंगाराम कोड़ोपी, ठेकेदार बीके लाल और एस्सार महाप्रबंधक डीवीसीएस वर्मा को आरोपी बनाया था। इनके खिलाफ कोई ठोस सबूत पुलिस पेश नहीं कर सकी, जिसके बाद कोर्ट ने सभी को दोषमुक्त कर दिया है। विशेष न्यायाधीश विनोद कुमार देवांगन, NIA एक्ट/अनुसूचित अपराध ने अपना फैसला सुनाते हुए पुलिस की जब्त बताई गई 15 लाख रुपए राशि ठेकेदार बीके लाला को लौटाने का भी आदेश दिया है।
पुलिस के दावे के मुताबिक, 8 सितंबर 2011 को दंतेवाड़ा जिले के कुआकोंडा थाना प्रभारी उप निरीक्षक उमेश साहू को मुखबिर से सूचना मिली थी कि, ठेकेदार बीके लाला किरंदुल में स्थित एस्सार कंपनी की ओर से नक्सलियों को लिंगाराम कोड़ोपी एवं सोनी सोढ़ी के माध्यम से पालनार के साप्ताहिक बाजार के पास 15 लाख रुपए देने वाला है। इसी सूचना के आधार पर 9 सितंबर 2011 को थाना प्रभारी उप निरीक्षक उमेश साहू सादी वेशभूषा में पालनार के साप्ताहिक बाजार के आस-पास, पुलिया, जंगल में छिपे थे।
उसी दौरान ठेकेदार बीके लाला अपनी बोलेरो पिकअप वाहन से बाजार आया। जिसने यहां पहले से ही मौजूद लिंगाराम कोड़ोपी और सोनी सोढ़ी को 15 लाख रुपए निकाल कर लिंगा राम कोड़ोपी को दे रहा था। उसी समय पुलिस ने मौके पर पहुंच कर बीके लाला और लिंगा को पकड़ लिया। वहीं सोनी सोढी़ अफरा-तफरी का फायदा उठाकर बाजार की भीड़ में कहीं चली गई थी।