MOVIE REVIEW | फूल पैसा वसूल है बधाई दो, कॉमेडी के साथ इमोशन्स का भी रखा ख्याल, गे और लेस्बियन कम्युनिटी को नॉर्मल तरीके से दिखाने की कोशिश

नई दिल्ली: कहते हैं जोड़ियां आसमान में बनती हैं… लेकिन उन जोड़ियों का क्या जो मजबूरी में एक दूसरे के साथ हों? जिनमें आपको अपनी असलियत को कोम्प्रोमाईज करना पड़े और हर पल यह सोचकर डरना पड़े कि कहीं मेरी सच्चाई सबके सामने ना आ जाए। क्या वो भी आसमान में बनती हैं?

कुछ ऐसी ही शादी होती है लैवेंडर मैरिज। यह शादी दो ऐसे लोगों के बीच होती है जो होमोसेक्सुअल हैं। इस शादी समझौते की शादी को लोग अलग-अलग कारणों से करते हैं। कुछ समाज में अपनी जगह पाने के लिए। तो कुछ कुंवारे रह जाने पर लगने वाले लांछन से बचने के लिए, तो कुछ इसकी आड़ में अपनी जिंदगी को खुलकर जी सकने के लिये। राजकुमार राव और भूमि पेडनेकर की नई फिल्म बधाई दो इसी लैवेंडर मैरिज और इसमें बंधे शार्दुल और सुमी के अपनी असलियत को छुपाने और खुलकर जीने के स्ट्रगल के बारे है।

क्या है फिल्म की कहानी?
बधाई दो की कहानी शार्दुल ठाकुर (राजकुमार राव) और सुमन सिंह (भूमि पेडनेकर) के बारे में है। शार्दुल गे कम्युनिटी का हिस्सा है और सुमन उर्फ सुमी लेस्बियन है। दोनों अपने-अपने स्ट्रगल्स के साथ अपनी जिंदगी को दुनिया की नजरों से छुपाकर जी रहे हैं। शार्दुल और सुमी की जिंदगी जब शादी के बाद एक हो जाती है तो दोनों सोचते हैं कि अब वह अपने असली पार्टनर्स के साथ चौन से जी पाएंगे। लेकिन आगे जो होता है उसके बारे में दोनों ने सोचा भी नहीं होता।

शार्दुल और सुमी को लगता है कि वह शादी करके अपनी मर्जी से अपने पार्टनर्स के साथ रह पाएंगे. लेकिन उनकी शादी में सिर्फ आजादी ही नहीं बल्कि परिवार, दोस्तों और यहां तक कि पड़ोसियों तक से अपनी सच्चाई को छुपाकर रखना शामिल है। शार्दुल और सुमी की गर्दन पर हर वक्त यह तलवार लटकती रहती है कि अगर किसी को उनकी सच्चाई का पता चल गया तो फिर क्या होगा। साथ में हैं दोनों की शादी में आने वाले दूसरे स्ट्रगल, जिनके सलूशन भी दोनों को खुद ही निकालने हैं।

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राजकुमार-भूमि ने किया कमाल
राजकुमार राव ने शार्दुल ठाकुर के किरदार को बेहतरीन अंदाज में निभाया है। राजकुमार इस तरह से अपने किरदार में रमे हैं कि आपको लगता नहीं है कि शार्दुल काल्पनिक है, किसी फिल्म का किरदार है। एक गे पुलिसवाले के रोल में राजकुमार राव ने अपने किरदार की इनसिक्योरिटी, डर, हिचक और यहां तक कि बचपन से सीखी और देखी टॉक्सिक मैस्क्युलिनिटी को बढ़िया अंदाज में निभाया है। वहीं भूमि पेडनेकर, सुमी के रोल में इमोशनल, सेंसिटिव और बहादुर हैं। सुमी भले ही अपने परिवार को अपने लेस्बियन होने के बारे में बताने से हिचकिचाती हो लेकिन वो डरपोक नहीं है।

चूम ने फिल्म में भूमि पेडनेकर की पार्टनर झिलमिल का किरदार निभाया है। कहा जा सकता है कि उनका बॉलीवुड डेब्यू सफल रहा। बधाई दो में चूम को पैरेलल लीड निभाने को मिला जो नॉर्थईस्ट के एक्टर्स के साथ बॉलीवुड में कम ही होता है। सीमा पाहवा, शीबा चड्ढा, लवलीन मिश्रा, नितेश पांडे इस फिल्म में सपोर्टिंग कास्ट में हैं। सभी ने अपने किरदारों को अच्छे से निभाया है। शीबा चड्ढा कम शब्दों में ही बढ़िया काम कर गई हैं। एक्टर गुलशन देवैया का कैमियो फिल्म में देखने लायक है।

कॉमेडी से बेहतर इमोशंस
डायरेक्टर हर्षवर्धन कुलकर्णी ने फिल्म बधाई दो में कॉमेडी के साथ-साथ इमोशंस को भी भरा है। उन्होंने फिल्म में दिखाया गया है कि अपनी सच्चाई को छुपाते हुए लोग कैसे अकेले पड़ जाते हैं। सबसे ज्यादा इंसान को कोई चीज खटकती है तो वो ये कि वो खुलकर अपनी जिंदगी के बारे में अपने अपनों से ही बात नहीं कर सकता।

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हर्षवर्धन ने अपनी इस फिल्म के जरिए गे और लेस्बियन कम्युनिटी को नॉर्मल तरीके से दिखाने की कोशिश की है। बधाई दो में इस बात को नॉर्मलाइस करने की कोशिश की गई है कि गे और लेस्बियन कम्युनिटी के लोग हमसे और आपसे अलग नहीं हैं। वो भी उतने ही इंसान हैं, जितने हम और आप। उन्हें भी उतना ही दर्द होता है जितना हमें और आपको। उनमें भी उतने ही इमोशंस हैं, जितने हममें और आपमें। तो अगर हम खुलकर अपनी जिंदगी को जी सकते हैं तो वो भी तो जी सकते हैं ना। अगर हमें प्यार करने का अधिकार है तो उन्हें भी तो है होना चाहिए।

बधाई दो में आपको शादी की उलझनें, मिडल क्लास घरों और परिवारों के ट्रेडिशन और अपने घर के लोगों से उनकी मांग देखने मिलती है। फिल्म में इन सभी चीजों को पूरी असलियत और ईमानदारी के साथ दिखाया गया है। बधाई दो का फर्स्ट हाफ थोड़ा स्लो है, लेकिन सेकंड हाफ आपका दिल खुश कर देगा, साथ ही आपको इमोशनल भी करेगा। फिल्म का म्यूजिक और साउंड डिजाइन काफी अच्छा है। यह फिल्म आपको बात करने के लिए प्रोत्साहित करेगी और आपको एंटरटेन भी करेगी।

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