सूरजपुर: आपने कई फिल्मी कलाकारों-नेताओं की मूर्तियां और मंदिर देखी होगी, लेकिन अब तक जिन लोगों की मूर्ति या मंदिर बनी है, उन्होंने खुद उसे नहीं बनवाई, बल्कि उनके चाहने वालों ने बनवाए हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में एक शख्स ने जीवित रहते हुए खुद के साथ अपनी पत्नी की मूर्ति बनवाई और गांव में स्थापित किया, जो अब मशहूर हो चुका है। हम आपको उस शख्स के बारे में बताएंगे, जिसने जीवित रहते अपनी प्रतिमा बनवाई।
राजा-महाराजाओं की प्रतिमा से थे प्रभावित
सूरजपुर में रामपुर नाम का गांव है। जहां रहने वाले बरातू सिंह (1937-2013) जो पेशे से एक कृषक थे, लेकिन उनका झुकाव एवं रुचि धार्मिक कार्यों में अत्यधिक था। ये अपने दैनिक कार्यों से निवृत होने के बाद जगह-जगह पर जाकर, लोगों से मिलकर उनकी समस्याओं को जान-समझकर उसे ठीक करने का प्रयास करते थे। इसी क्रम में जब वो किसी शहर में जाते या सभाओं में शामिल हुआ करते थे, तब वहां वो महापुरुषों एवं राजा-महाराजाओं की प्रतिमा देखकर रोमांचित हुआ करते थे। जैसे- महात्मा गांधी के नाम पर गांधी चौक, पंडित जवाहर लाल नेहरू के नाम पर नेहरू चौक, डॉ. भीमराव अम्बेडकर के नाम पर अंबेडकर चौक या बिरसामुंडा के नाम पर बिरसामुंडा चौक।
संगमरमर के पत्थर से बनी है मूर्ति
इन सभी की प्रतिमाओं को देखकर बरातू सिंह ने फैसला लिया कि वे भी जीवन में अपना प्रतिमा बनवाएंगे और गांव में स्थापित करेंगे। इसलिए वो राजस्थान के जयपुर शहर जाकर, वहां के कारीगरों से संगमरमर के पत्थर से अपनी एवं अपनी पत्नी राजपालो (1940-2004) की प्रतिमा तैयार करवाई। जिस प्रतिमा को 11 जून 2000 को गंगा दशहरा के अवसर पर गांव रामपुर में एक मंच बनवाकर उसके ऊपर स्थापित किया गया, इसके अलावा अपने जीवन काल में तीन मंदिर और दो धर्म कुआं का निर्माण कराया, जिससे किसी को पानी की समस्या न हो।
देश में इन हस्तियों की बनी है मूर्तियां
वैसे तो हमारे भारत देश में कई जीवित लोगों की प्रतिमाएं बनी हुई है, जैसे- दक्षिण भारत के अभिनेता रजनीकांत की प्रतिमा बनाकर, उनके चाहने वाले थालाइवा की तरह पूजते हैं। सदी के महानायक कहे जाने वाले अभिनेता अमिताभ बच्चन की प्रतिमा बनाकर उन्हें पूजते हैं। इन सब के अलावा महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की प्रतिमा भी बनाकर लोग पूजा करते हैं। हालांकि ये सभी जीवित हैं एवं उन्होंने स्वयं अपनी प्रतिमा नहीं बनवाई है, इनके चाहने वाले उनकी प्रतिमा बनाकर पूजा करते हैं।
11 जून को होता है धार्मिक आयोजन
गौरतलब है की स्व. बरातू सिंह के तीन पुत्र हैं, भोला सिंह, अम्मालाल सिंह, श्यामलाल सिंह। ये सभी वर्तमान में अपने-अपने परिवार के साथ रामपुर गांव में निवास करते है। इनसे जब बातचीत की गई तो बताया कि उनके पिता बरातू सिंह पुराने समय में शहरों में जाते थे, तो गांधी, नेहरु और कई राजा महाराजों की प्रतिमा देखा करते थे। उसी समय उनके मन में खुद की प्रतिमा बनवाने का ख्याल आया, और उन्होंने 11 जून 2000 को माता राजपालो सिंह (बरातू सिंह की पत्नी) और अपनी मूर्ति गांव में स्थापित करवाई। उनके पुत्रों ने बताया कि हर वर्ष मूर्ति स्थापना के दिन (11 जून) को मूर्ति के पास मंच पर रामायण, भजन कीर्तन किया जाता है। जिसमें आसपास के लोग शामिल होते हैं।