UP Election | क्या उत्तरप्रदेश में कांग्रेस की नैया पार लगा पाएंगे सीएम भूपेश बघेल? पार्टी को मजबूत करने अपनाएंगे छत्तीसगढ़ का फॉर्मूला

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए छत्तीसगढ़ की भागीदारी बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। कांग्रेस हाईकमान ने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच सीएम भूपेश बघेल को न सिर्फ उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का वरिष्ठ पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिया है, बल्कि उन्हें उन्हें उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस को जिताने की एक बड़ी चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी सौंप दी है। बघेल की टीम ने योगी सरकार को मात देने के लिए मैदान संभाल लिया है। आए दिन बघेल भी यूपी के जिलों का दौरे कर कांग्रेस की सरकार बनने के दावे करते हुए नजर आ रहे हैं।

छत्तीसगढ़ सीएम कार्यालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार, सीएम बघेल सोमवार को राजधानी रायुपर से उत्तर प्रदेश के दौरे के लिए रवाना हो गए। वे मंगलवार को भी लखनऊ में ही रहेंगे। दो दिवसीय दौरे के दौरान वे पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों और रणनीतिकारों के साथ आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए बैठकें करेंगे। इसमें कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी शामिल हो सकती हैं। बतौर पर्यवेक्षक बघेल का ये दूसरा दौरा है, जिसमें वे संगठन पदाधिकारियों के साथ आगामी चुनावों के संबंध में चर्चा करेंगे।


बघेल का इस महीने ये चौथा दौरा
अक्तूबर में सीएम बघेल का ये चौथा यूपी दौरा है। वे पहली बार पांच अक्तूबर को लखीमपुर खीरी जाने के लिए लखनऊ पहुंचे थे। सरकार ने उन्हें हवाई अड्डे से बाहर नहीं निकलने दिया। तीन घंटे धरना देकर वे दिल्ली वापस लौट गए। छह अक्तूबर को वे कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के साथ दोबारा लखनऊ पहुंचे। वहां से सभी लोग रात तक लखीमपुर खीरी पहुंचे थे।

बघेल ने छह अक्तूबर को लखीमपुर खीरी हत्याकांड में मारे गए चार किसानों और एक पत्रकार के परिजनों के लिए 50-50 लाख रुपये आर्थिक मदद की घोषणा भी की थी। वहीं, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नौ अक्तूबर को लखनऊ के कौल हाउस में हुई बैठक में शामिल हुए थे। उस दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रियंका गांधी के साथ बनारस में हुई किसान न्याय सभा में भी शामिल हुए थे। सीएम 25 अक्तूबर को फिर राजधानी लखनऊ पहुंच रहे हैं, यहां वे पार्टी के प्रदेश नेताओं के साथ आगामी चुनावी रणनीति को लेकर चर्चा करेंगे।


छत्तीसगढ़ मॉडल को लेकर सक्रिय हुई बघेल की टीम
यूपी का पर्यवेक्षक नियुक्त होने से पहले से ही सीएम बघेल की टीम राज्य में सक्रिय है। कांग्रेस महासचिव और प्रदेश प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने मुख्यमंत्री के करीबी और संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी को कांग्रेस का राष्ट्रीय सचिव बनाकर उत्तर प्रदेश का जिम्मा दिया है। राजेश तिवारी और उनकी टीम उत्तर प्रदेश के सभी जिलों का दौर भी कर चुकी है।

छतीसगढ़ मॉडल की तर्ज़ पर ही यूपी में भी अब हर बूथ पर कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसमें कार्यकर्ताओं को बूथ प्रबंधन, कांग्रेस की विचारधारा, सोशल मीडिया का उपयोग को लेकर ट्रेनिंग दी जा रही हैं।  यूपी के 100 नेताओं को छत्तीसगढ़ के रायपुर में मास्टर ट्रेनिंग भी दिलाई गई है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के मास्टर ट्रेनर पूरे राज्य में ‘प्रशिक्षण से पराक्रम अभियान’ के तहत हर जिले और विधानसभा में प्रशिक्षण शिविर लगाकर प्रदेश के दो लाख कांग्रेस नेताओं-कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने में जुटे हैं। बघेल ने प्रदेश अध्यक्ष रहते छत्तीसगढ़ में यही मॉडल अपनाया था, जिसके परिणामस्वरूप 2018 में कांग्रेस की जबरदस्त जीत हुई थी।


बघेल के सहारे कुर्मी वोटर्स पर कांग्रेस की नजर
छत्तीसगढ़ में चल रही सियासी उठापटक के दौरान ही बघेल ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों नेताओं की यूपी चुनाव प्रबंधन और छत्तीसगढ़ की राजनीतिक मदद लेने पर बात हुई थी। मुख्यमंत्री बघेल ने उत्तर प्रदेश चुनाव में जिम्मेदारी देने की पेशकश भी प्रियंका गांधी से की थी।

धन-जन प्रबंधन के अलावा सीएम बघेल की जाति को भी उनके यूपी पर्यवेक्षक बनाए जाने से जोड़ कर देखा जा रहा है। बघेल ओबीसी कुर्मी समुदाय से आते हैं, जिसके वोटर पूर्वी यूपी में बड़ी संख्या में हैं। बघेल को पर्यवेक्षक बनाना कुर्मी मतदाताओं को आकर्षित करने की कांग्रेस की रणनीति हो सकती है।


असम में नहीं चला बघेल का मैनेजमेंट
कांग्रेस ने इससे पहले छत्तीसगढ़ की टीम को बिहार और असम के विधानसभा चुनाव में लगाया था। पार्टी ने असम में भूपेश बघेल को सीनियर ऑब्जर्वर नियुक्त किया था। इसमें उनकी कोर टीम ने तन-मन-धन से राज्य में प्रचार किया। चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ के 500 से ज्यादा कार्यकर्ता कई हफ्तों तक असम रहे और पूरा चुनावी प्रबंधन संभाला। जिसकी वजह से कांग्रेस मुकाबले में आ गई लेकिन चुनाव में जीत हासिल नहीं कर सकी। चुनाव परिणाम के बाद ऐसा कहा जाने लगा था कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मेहनत के कारण पार्टी कम से कम वहां मुकाबले में तो आई। हालांकि पार्टी से जुड़े नेताओं का कहना है कि असम में हार की वजह एआईयूडीएफ के साथ गठबंधन होना था।  

यूपी चुनाव तक सुरक्षित रहेगी बघेल की कुर्सी
प्रदेश के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सीएम बघेल को उत्तर प्रदेश का चुनावी प्रबंधन देने के बाद ये साफ हो गया है कि कांग्रेस को राज्य में चुनाव के दौरान किसी प्रकार के संसाधनों की कमी नहीं होगी। हालांकि पार्टी और बघेल का प्रदर्शन का कैसा रहेगा ये तो चुनाव परिणाम वाले दिन ही साफ होगा। लेकिन बघेल के पर्यवेक्षक बनने से छत्तीसगढ़ में जारी राजनीतिक उथलपुथल पर यूपी चुनाव तक विराम जरूर लग गया है।

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