बालोद: कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जिले में 11 से 19 अप्रैल तक कम्पलीट लाॅकडाउन है। व्यवसायिक प्रतिष्ठान के साथ दूध गंगा भी बंद कर दिया गया है। यहां शुद्ध दूध के अलावा खोए से बनी मिठाईयां भी बेची जाती थी। 300 पशुपालक दूध गंगा में ही अपना दूध भेजते थे। दूध गंगा बंद होने के कारण पशुपालक प्रतिदिन 11 सौ लीटर दूध नाले में बहा रहे हैं।
सुबह और शाम में संचालित होने वाली दूधगंगा में केवल 250 लीटर दूध ही बिक पाता है और बाकी दूध बच जाता है। लोग निशुल्क ही दूध को अपने घर ले जाते हैं बाकी बचे दूध को नाले में बहाया जा रहा है। समिति के अध्यक्ष ने बताया कि पिछले साल भी लाॅकडाउन में दूध की खपत कम हो गयी थी। तब हमने दूध से खोवा बना लिया था। पर लाॅकडाउन बढ़ा और किसी ने खोवा भी नहीं खरीदा। जिससे पैसा और समय दोनों की ही बर्बादी हुई। इस बार दूध को नाले में बहा दे रहे हैं।
दूध गंगा संचालित करने वाली समिति यदि पशुपालकों से दूध नहीं लेते तो उनकी गुजर-बसर में काफी परेशानी आएगी। यदि लेते हैं तो उसकी खपत ही नहीं है। समिति ने निर्णय लिया है कि 21 अप्रैल से दूध का मूल्य घटाकर 24 रूपये पशुपालकों को दिया जाएगा। जबकि अभी तक दूध का मूल्य 37 रूपये प्रति लीटर भुगतान किया जाता था। समिति की मानें तो अगर इसी तरह से स्थिति रही तो दूध गंगा को बंद करना पड़ेगा।